शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

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गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

डॉ. बिनायक सेन की तत्काल रिहाई को लेकर जयपुर के जन संगठनो का धरना प्रदर्शन संपन्न हुआ


Dr. Binayak Sen

आज दिनाक 30.12.2010 को राजस्थान के 150 से भी अधिक प्रबुद्ध नागरिक एव जन संगठन कार्यकर्ताओ ने "डॉ. बिनायक सेन" की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर जयपुर के अल्बर्ट हॉल मुज्यिम के सामने प्रदर्शन किया |

सभी ने इस फेसले की निंदा करते हुए इसे राजनीती से प्रेरित मना | वक्ताओ का यह भी कहना था की देशद्रोह की धारा मे आजीवन कारावास का दण्ड देना अपने मे राज्य द्वारा इस फेसले के जरिए न्यायपालिका को साजिशपूर्ण रूप से इस्तेमाल करने का मिसाल है | सभी वक्ताओ का यह भी मानना था कि डॉ. बिनायक सेन के फेसले से एक सन्देश देशभर मे मानवाधिकार एव जन संगठन कार्यकर्ताओ को दिया जा रहा है कि वे सरकार कि नीतियों कि आलोचना नहीं करे यह एक चूप करने कि रणनीति बतोर फेसला है |

जयपुर प्रदर्शन मे आए संगठनो ने प्रस्ताव लिया कि हर जिले के मुख्यालय पर प्रदर्शन कर डॉ. बिनायक सेन कि रिहाई कि मांग करनी चाहिए | यह भी घोषणा कि की 30 जनवरी 2011 शहीद दिवस को "जेल भरो" आन्दोलन राज्य मे किया जायेगा | भारतीय दण्ड सहिता की राजद्रोह धारा (124 A) के विरुद्ध वकीलों न्यायविदो एव कार्यकर्ताओ की समिति बना कर एक अभियान शुरू किया जायेगा | इसे भारतीय दण्ड सहिता से हटाने की मांग की जायेगी | ज्ञात हो की महात्मा गाँधी को इन धाराओ के तहत 3 साल एव तिलक को 8 साल की सजा सुने गई थी एव गाँधी का यह भी मानना था की इस धारा को आज़ाद भारत मे कोई स्थान नहीं है |

क्यों कि डॉ. बिनायक सेन का जन्म दिन 04 जनवरी को है जब वो 61 वर्ष के हो जायेंगे, तो सभी साथियो ने नववर्ष एव जन्मदिन शुभकामनाओ के सन्देश एक बेनर पर हस्ताक्षर कर दर्ज किए | यह बेनर रायपुर सेन्ट्रल जेल भेजा जायेगा | 04 जनवरी को मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों, गिरिजा घरो मे उनकी लम्बी जीवन के लिए दुआ दी जायगी | 

ज्ञात हो कि डॉ. बिनायक सेन मानवाधिकार संगठन पी.यू.सी.एल. के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष है | उन पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2007 मे माओवादियो के साथ लिप्त होने के आरोपों पर गिरफ्तार कर केस चलाया | रायपुर कि एक निचली अदालत ने दिसम्बर को राजद्रोह एव छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम एव यू.ए.पी.ए. के तहत दोषी करार कर आजीवन कारावास दण्ड दिया |

डॉ. बिनायक सेन 35 साल से आदिवासियो के बीच स्वास्थ्य का काम कर रहे थे | उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार कि "सलवा जुडूम" निति को 2005 मे खुल कर विरोध किया और उन पर यह आरोप गढ़ चूप किया गया| 

धरने मे निम्न वक्ताओ ने अपनी बात रखी : प्रेम किशन शर्मा (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान), डॉ. नरेन्द्र गुप्ता (जन स्वास्थ्य अभियान, प्रयास), दुष्यंत ओझा (भारतीय कमुनिस्ट पार्टी), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), महेंद्र   चोधरी एव श्रीलता   (भा.क.पा. माले), हितेंद्र उपाध्याय (संभव), शिव सिंह (अल्लारिपू), सलीम साहब (जमाते-ए-स्लामी हिंद), पी.एल. मिमरोठ (दलित अधिकार केंद्र), सवाई सिंह (राजस्थान समग्र सेवा संघ), निशात हुसैन (नेशनल मुस्लिम वुमेन्स वेलफेयर सोसायटी), मेवा भारती (घरेलु महिला कामगार यूनियन), कैलाश चन्द  कुम्भकर (सामाजिक विधि अध्ययन अकादमी), कोमल श्रीवास्तव (भारत ज्ञान विज्ञान समिति), राशिद (हुमन डेवेलपमेंट सोसायटी),  प्रो. हसन (ईरादा), राजाराम भादू (समान्तर), हरकेश बुगालिया (राजस्थान निर्माण मजदूर संगठन), विजय गोयल (आर. आई.एस.आर.), राखी (सी फार), अलोक व्यास (सिकोडिकोंन), प्रकाश चतुर्वेदी | 


भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

अखिल भारतीय "किसान स्वराज यात्रा" का जयपुर मै आगमन

"किसान स्वराज यात्रा" 
9 दिसम्बर को "किसान स्वराज यात्रा" का विनोबा ज्ञान मंदिर जयपुर  मे भव्य स्वागत किया गया | किसान स्वराज यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि व् खाद्य मे स्वराज है व् तीन मांगे लेकर चल रही है - (1) किसान को सरकार द्वारा आय मे सहयोग (2) खेती इस रूप की हो जिससे पर्यावरण का नाश न हो - जैविक खेती की दिशा ले (3) किसान  का  नियंत्रण पानी, जमीन, वन एव बीज इत्यादि सभी संसाधनों पर हो न की कम्पनियो के, यह मांगे आज जयपुर मे आयोजित नागरिक संवाद मे 70  दिन से चल रही "किसान स्वराज यात्रा"  का नेतृत्व कर रही कविता कुरुघंटी ने रखी |

2 अक्टूबर को साबरमती से शुरू हुई "किसान स्वराज यात्रा" गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, छतीसगढ़, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान व् हरियाणा होते हुए 11 दिसम्बर 2010 को दिल्ली पहुचेगी | राजस्थान मे यात्रा गंगानगर, हनुमागढ़, बीकानेर, नागोर, जोधपुर, अजमेर, झुंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर होते हुए हरियाणा निकली | 70 दिनों की इस यात्रा के दरमयान एक लाख लोगो से संवाद स्थापित किया गया, 250 से अधिक लोग जो लगातार यात्रा मे चले | 

कविता कुरुघंटी 
यात्रा का मार्गदर्शन कर रही कविता कुरुघंटी का कहना था की राजस्थान मे खेती जबरदस्त रूप से खतरे मे है | जंहा भी वो गई  या तो जमीन से विस्थापन के मुद्दे लोग उठा रहे हिया या फिर सरकार का मौनसेंटो के साथ हल मे हुआ करार जंहा पूरी खेती का नियंत्रण किसान कम्पनियो के हाथ खो देगा | खास रूप से मोनसेंटो के साथ Sun Rays Project मक्के को लेकर जो करार आदिवासिओ के 5 जिलो मे किया गया है, उससे आदिवासिओ द्वारा बचाई गई जैविक खेती अब सर्वनाश होगी| उन्होंने नारा दिया "मोनसेंटो भारत छोडो, राजस्थान सरकार मोनसेंटो को छोडो व् खेती हमारी हक़ आपके नहीं चलेगा"| 

संवाद के मुख्य अतिथि प्रो. विजय शंकर व्यास जो कृषि अर्थशास्त्री है एव वर्तमान मे राज्य आयोजन मंडल के उपाध्यक्ष है एव प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य है ने कहा की बीज के स्तर पर कम्पनियो का दखल खतरनाक है, जो की विश्व का अनुभव है | बीज तो सरकार द्वारा बीज खेत तैयार होने चाहिए जंहा से किसान को बीज उपलब्ध करवाया जाय | उन्होंने यह भी कहा की खेती जैविक हो या दूसरी हो किसान को सही मूल्य एव उत्पादकता नहीं होगी तब तक किसान उस खेती के रस्ते को नहीं अपनायेगा | उन्होंने यह भी ऐलान किया अब जब राज्य का 12 वी पंचवर्षीय योजना बने जा रही है तो उसमे इस मुद्दे पर वे जरुर संवाद रखेंगे जिससे सिफारिशे सरकार तक पहुंचाई जा सके |

बैठक मे विशिष्ठ अतिथि विकास अध्यन संसथान के प्रो. सुरजीत सिंह ने कहा की राजस्थान मे खेती की बात पानी से शुरू होती है और अगर पानी की उपलब्धता पर खेती नहीं आधारित होगी एव पानी का ओद्योगिक इस्तेमाल पर नीति नहीं बनेगी तो कृषि राजस्थान मे और भी पिछ्ड़ेगी | उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा की राजस्थान को पंजाब से सीख लेनी चाहिए जंहा ज्यादा केमिकल खाद के इस्तेमाल के कारण पंजाब आज केंसर प्रदन प्रदेश बन गया | 

संवाद मे अशोक गहलोत सरकार के नाम ज्ञापन जिसमे मोनसेंटो के साथ करार को रद्द करने ओ लेकर एव कृषि भूमि से लोगो का विस्थापन रोकने की मांग को लेकर पढ़ा गया | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू) 

sasas

"अमन की आशा" का मिशन लेकर निकले मोहम्मद अल्ताफ बट्ट चिश्ती

अल्ताफ 
अल्ताफ 18 वर्ष की उम्र में जब कशिमिर में भारत विरोधी आन्दोलन चरम पर था तब नादानी में अल्ताफ ने अल-उमर मुजाहिद्दीन,  एक हथियार बंद संगठन के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जंगजू बनने 3 माह का हथियार चलाने के प्रशिशन के लिए चला गया | 3 माह बाद में वापिस कश्मीर लौट आया |  अल्ताफ सरहद पर ही इस बात का निश्चय किया कि मै जंगजू नहीं बनूँगा | क्यों कि इस वक्त वापस आने पर अल्ताफ ने जो हालत देखे वो कोई धर्म, मजहब उसकी इजाजत नहीं देते है | क्यों कि पेगेम्बर मोहम्मद उन्होंने इस बात से सख्त मना किया था कि कभी भी लड़ाई के दौरान बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओ को शामिल नहीं करना चाहिए, मगर कश्मीर मे अधिकतर जाने एव नुकसान महिलाओ, बुजुर्गो और बच्चो का हुआ | यह देख कर अल्ताफ इस काम मे हिस्सा लेना इंसानियत, धर्म और कानून के खिलाफ समझा|

फिर दो वर्ष तक अल्ताफ स्वतंत्र पत्रकार का कार्य करता रहा | इस दौरान मेरी अनेको खबरे कश्मीर के उर्दू व् अंग्रेजी अखबारों मे छपी जैसे आफ़ताब, रोशनी, आफाक, ग्रेटर कश्मीर, कश्मीर टाइम्स, आदि | वैसे अल्ताफ एक लेखक, आयुर्वेद डॉक्टर, एक्यूप्रेशर हीलर, डिजाइनर, फोटोग्राफर भी है |

2 वर्ष के पश्चात् रास्ते पर चलते हुए अपने काम की और जा रहा था तो बी.एस.एफ. ने मु-हजये गिरफ्तार किया | मु-हजये दो वर्ष की जेल हुई | सिर्फ इसलिए नादानी मे अल्ताफ ने हथियार बंद प्रशिशन लेने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) चला गया था | श्री नगर सेन्ट्रल जेल मे मु-हजये रखा गया | वंहा से छूटने के बाद मु-हजये दो-उचयचार बार बिना किसी करू के बी.एस.एफ.व् सी.आर.पी.एफ. के नोजवानो ने मेरे हाथ पांव तोड़ दिए | अल्ताफ का कहना था की या कहानी उसकी नहीं बल्कि सरे कश्मीरियो की है | जिसके कारण अनेक नोजवान कश्मीर छोड़ कर देश-उचयविदेश के अन्य शहरो मे मजबूरन फनाह ले रहे है  व् परिवारों से अलग रहना पद रहा है | लेकिन इन शहरो मे भी वे भय मुक्त नहीं है | वंहा भी स्थानीय पुलिस भी शक के घेरे मे रखती है | अल्ताफ का कहना था की उसने कानून को कभी नहीं तोडा | 

इस अमन यात्रा की शुरुआत की ताकि अल्ताफ ही नही बल्कि अल्ताफ जैसे तमाम लोगो को इंसाफ दिलाएगा | जिनके साथ ना इन्साफिया होती रही | उनको इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश करेगा | निकला तो मे अकेला था इस सफ़र मे लेकिन आज कारवां के रूप मे हिन्दुस्तान की अधिक आवाम मेरे पीछे कड़ी है और मेरा इस मिशन मे पूरा सहयोग कर रही है | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

रोज़ी रोटी अधिकार अभियान राजस्थान की और से चलाया गया राजस्थान के १३ जिलो में "एफ.सी.आई.गोदामों के ताले खोलो" अभियान का धरना प्रदर्शन संपन्न हुआ

"गोदामों के ताले खोलो"
भूखे पेट भरे गोदाम नहीं चलेगा...नहीं चलेगा!

रोज़ी-रोटी अधिकार अभियान, जयपुर 
आज दिनांक २८.९.२०१० को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान के विभिन्न घटक संगठनो ने राज्य व्यापी खाद्यान सुरक्षा के सम्बन्ध में भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के ताले खोलने के लिए धरना प्रदर्शन किया गए | यह प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की क्रियांवती के सन्दर्भ में रोज़ी  रोटी अधिकार अभियान के द्वारा आयोजित किया गया | सनद रहे की पी.यू.सी.एल. खाद्य सुरक्षा के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट  में चल रहे मुकदमे में परिवादी भी है |


एफ.सी.आई. गोदाम, टोंक रोड, जयपुर 
भारत सरकार  के आंकड़ो के अनुसार १ जून २०१० को भारतीय खाद्य निगम में खाद्यान भंडार ५५० लाख मीट्रिक  टन के रिकॉर्ड स्टार पर पहुँच गया था | इसका लगभग एक तिहाई संग्रह अस्थाई कवर में खुले में रखा गया है जिसके फलस्वरूप पंजाब में ही लगभग ५०,००० मीट्रिक टन खाद्यान मानव उपभोग के योग्य नहीं रह गया है | इसी तरह की स्थितिया भारत के सभी राज्यों में है |


एफ.सी.आई. गोदाम, नोखा  
राज्य व्यापी आन्दोलन राज्य के १३ जिलो में गोदामों के सामने आयोजित किए गए | इन जिलो में जैसलमेर, जयपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, बीकानेर, भरतपुर, बाड़मेर, जोधपुर, अजमेर, दौसा, धोलपुर, अलवर और डूंगरपुर में जनसहयोग से स्थानीय संस्थाओ द्वारा किए गए | इस आन्दोलन के तहत राज्य भर में कुल २०७० लोगो ने भाग लिया | आन्दोलन के तहत प्रमुख मांग में "गोदामों में सड़ रहे अनाज को गरीबो में बाँटना है "| इस आन्दोलन के तहत सभी स्थानों पर जनता ने अपने मांग पत्र जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित किए और मांग की गरीबो के खाद्यान सुरक्षा को मजबूती दी जाए अन्यथा पूरे देश में एक जान आन्दोलन छेड़ा जायेगा | मांगो का ज्ञापन प्रधान मंत्री, कृषि मंत्री एव मुख्य मंत्री के नाम प्रेषित किया गया |


एफ.सी.आई. गोदाम,  टोंक रोड, जयपुर 
जयपुर में एफ..सी.आई. गोदाम के बाहर, ग्लास  फेक्ट्री, गोपालपुरा पुलिया के पास, टोंक रोड पर आयोजित किया गया था जिसमे पी.यू.सी.एल. की महासचिव सुश्री कविता श्रीवास्तव, उच्चतम न्यायलय के आयुक्तों के सलाहकार अशोक खंडेलवाल, जमाते इस्लामी हिंद से प्रोफ़ेसर सलीम इन्जिनीर, समान्तर से राजाराम भादू, एक्शन एड  इंडिया  से विजय लक्ष्मी जोशी इन सभी लोगो ने अपने विचार रखे | कार्यक्रम का सञ्चालन निर्माण मजदुर संगठन के श्री हरकेश बुगालिया ने किया | कार्यक्रम में भरी संख्या में कच्ची बस्तिओ की महिलाओ ने भाग लिया एव अपनी समस्याये राखी |
बाड़मेर 


रोज़ी रोटी अधिकार अभियान ने भारत सरकार व् राजस्थान सरकार से निम्न मांग उठाई है -

  • देश में खाद्यान को सड़ाने की अपेक्षा उसे सभी छोटे व् सीमांत किसान, कच्चे बस्ती में रहने वाले लोग, प्रवासी मजदुर, बेघर इत्यादि को मुफ्त या कम दरो पर वितरित दिया जाए | सभी परिवारों को २/- रुपये की दर पर ३५ किलो अनाज दिया जाए |
  • राज्य में राशन में बी.पी.एल.परिवार को मिल रहे २५ किलो अनाज को उच्चतम न्यायलय के निर्णय के तहत ३५ किलो किया जाए |
  • राज्य बी.पी.एल. एव ऐ.पी.एल. में फर्क ख़त्म करो एव पी.डी.एस.का सार्वजनीकरण करो |
  • भारत  सरकार द्वारा बनाया जा रहा खाद्य सुरक्षा कानून में सबके लिए सस्ता अनाज का प्रावधान सहित उत्पादन, उठाव, भण्डारण के पक्षों को जोड़ा जाए |
भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

माउन्ट आबू कि बोखलाई एस.डी.एम. टीना सोनी ने झुझारू पत्रकार श्री अनिल ऐरन पर कहर बरसाया

अनिल ऐरन और इश्वर सिंह कैमरा मेन
जैसा कि आप सभी को जानकारी होगी कि माउन्ट आबू के झुझारू पत्रकार पर माउन्ट आबू कि एस.डी.एम. टीना सोनी ने अपने पद कि शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए श्री अनिल ऐरन पर व् उनके परिवार पर कई अत्याचार किए है | श्री अनिल ऐरन माउन्ट आबू से ७ टेलिविज़न चैनल के लिए खबरे जयपुर और देहली भेजते है | उनको माउन्ट आबू में एक तेज तर्रार पत्रकार के रूप में जाना जाता है | श्री अनिल ऐरन ने अपनी रिपोर्टिंग के जरिये उन्होंने माउन्ट आबू एस. डी. ओ.टीना सोनी (प्रोबेशनर, आई.एस.) कि कई अनियमितताए उजागर कि जिससे नाराज हो कर एस. डी.एम. टीना सोनी ने उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दायर करने, उनकी गलत गिरफ्तारी करने और उन्हें धारा १५१ सी.आर.पी.सी.के तहत हाई कोर्ट आदेशो के खिलाफ निजी मुचलके पर जमानत देने से रोकने जैसे जुर्म किए | अनिल ऐरन को ६ दिन जेल भेजा गया और ७ दिन हिरासत में रखा गया | ऐरन के भाई सुनील ऐरन और कैमरा में इश्वर को भी गलत मामले में फसा कर जेल भेजा गया | जब अनिल ऐरन जेल में थे तो ग्रामीण माउन्ट आबू में उनके एक पुराने मकान को एस. डी. एम..टीना सोनी ने बुलडोजर से ढहवा दिया | अनिल ऐरन पर अत्याचार में माउन्ट आबू कलेक्टर शिल्पा शिंदे और माउन्ट आबू एस.पी. हिंगलाज दानचरण कि भी मिली भगत थी |
श्री अनिल ऐरन ने अपनी रिपोर्टिंग के जरिये एस.डी.एम. टीना सोनी कि निम्न लिखित अनियमितताए उजागर कि थी जो इस प्रकार हाई -
  •  तस्दीक शुदा जमानत प्रस्तुत करने के बावजूद ५ दलितों को धारा १०७ सी.आर.पी.सी. के तहत जेल भेजना |
नक्की झील पर पर्यटकों के लिए फोटोग्राफी करने वाले वाल्मिकी समाज के ५ दलितों को एस.डी.एम. टीना सोनी ने धारा १०७ के तहत बुक कर १९ जुलाई को बुलाकर कहा कि उनके खिलाफ पर्यटकों ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कि है | इन दलितों ने आरोप लगाया कि उन्हें जातिगत गाली दे कर एस.डी.एम. ने उनसे प्रति व्यक्ति २०,०००/- रुपये का मुचलका देने को कहा है | उनके तस्दीक शुदा जमाना प्रस्तुत करने के बावजूद उन्हें जेल भेज कर वंहा ५ दिन रखा गया | इन दलितों ने एस..डी.एम. टीना सोनी के खिलाफ सी.आर.पी.सी. कि धारा १५६ (3) के तहत माउन्ट आबू कि प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कि अदालत में मुकदमा दर्ज किया है और माउन्ट आबू थाने में अफ.आई.आर. नम्बर २७/१० लिखवाया है | श्री अनिल ऐरन ने इस मामले कि रिपोर्टिंग कई टी.वी. चेनलो में कि जिससे एस.डी.एम. सोनी नाराज हो गई |
  • स्वतंत्रता दिवस से सम्बंधित सरकारी परिपत्र में एस.डी.एम. टीना सोनी  द्वारा छेड़-छाड़ :-
माउन्ट आबू कि एस.डी.एम. टीना सोनी ने २७ जुलाई को क्रमांक सामान्य/२०१०/३९५ परिपत्र जारी कर स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त २०१० के अवसर पर सभी नागरिको और अधिकारिओ की नियमित बैठक बुलाई थी | जिसमे उन्होंने  स्वतंत्रता दिवस को गणतंत्र दिवस लिख दिया था | जब पत्रकार ने उनकी गलती उजागर की तो एस.डी.एम. टीना सोनी ने उपरोक्त पत्र में ही छेड़ छाड़ करके उसे ३ अगस्त को पुनः उसी क्रमांक से जारी कर दिया |  कायदे से उन्हें दुसरे पत्र के जरिये भूल सुधार जारी करना चाहिए था | अनिल ऐरन ने अपनी रिपोर्टिंग के जरिये उजागर किया |
  • नगर निगम आयुक्त के रूप में फर्जी व्यक्ति को पद ग्रहण करवाना जब की राजस्थान सरकार ने किसी अन्य अधिकारी की इस पद पर नियुक्ति का आदेश दिया था :-
इस वर्ष जुलाई में माउन्ट आबू नगर निगम आयुक्त महेंद्र सिंह टेलर के छुटी जाने पर राजस्थान सरकार के स्थानीय स्वायत शासन विभाग ने ३० जुलाई २०१० को आदेश जारी कर आबू रोड के यू.आई.टी.सचिव श्री राजस्व इंस्पेक्टर श्री लाल सिंह राणावत को नगर पालिका आयुक्त के रूप में पद ग्रहण करा दिया | इस धांधली की खबर कई अखबारों में आई | इस अवधि में एस.डी.एम. टीना सोनी ने श्री राणावत से ४० लाख रुपये के चेक और नगर पालिका द्वारा इस दौरान जारी कई अन्य महत्वपूर्ण आदेश हस्ताक्षरित करा लिए | अनिल ऐरन ने टी.वी. पर इस साडी धांधली का पर्दाफाश किया और ६ अगस्त को सम्भागिय आयुक्त श्री सुरदर्शन सेठी ने इस दौरान एस.डी.एम. सोनी द्वारा श्री राणावत के जरिये मुठी भर लोगो के हित में पारित कराये गए निर्माण प्रस्ताव नामंजूर कर दिए | इस वजह से एस.डी.एम. टीना सोनी सरही अनिल ऐरन पर कुपित है |
  • माउन्ट आबू की एस.डी.एम. टीना सोनी द्वारा प्रशासनिक शक्तिओ का दुरूपयोग करके प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात और श्री अनिल ऐरन उनके भाई श्री सुनील ऐरन तथा कैमरा में श्री इश्वर की नागरिक स्वतंत्रताओ का हनन :-
श्री अनिल ऐरन कि रिपोर्टिंग से कुपित एस.डी.एम. टीना सोनी ने गृह मरम्मत के सही कागजात होते हुए भी श्री अनिल ऐरन का घर ढहाने के लिए एस.डी.एम. सोनी ने ५ अगस्त को ४० पुलिस कर्मियों के साथ एक बुलडोजर भेजा | जब जे.सी.बी. मशीन वाले ने कागजात देखकर घर तोड़ने से मना कर दिया तो उसे भी श्री अनिल ऐरन के भाई सुनील ऐरन के साथ धारा १५१ सी.आर.पी.सी. के तहत बुक कर दिया गया | घर तोड़ने के प्रयासों के खिलाफ श्री  अनिल ऐरन द्वारा अर्जी लगाने पर माउन्ट आबू के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट ने अनिल ऐरन के गृह परिषर में न्याय पालिका के या किसी अन्य सरकारी अधिकारी के प्रवेश पर रोक लगा दी | माउन्ट आबू नगर पालिका कि अध्यक्ष लीला देवी ने आदेश जारी कर अपने अगले आदेश तक अपील दायर करने पर रोक लगा दी | माउन्ट आबू नगर पालिका की अध्यक्ष लीला देवी ने आदेश जारी कर अपने अगले आदेश तक अपील दायर करने पर रोक लगा दी | लेकिन मूल नगर पालिका आयुक्त महेंद्र सिंह द्वारा २३ अगस्त को पद ग्रहण कर लेने के बावजूद एस.डी.एम. टीना सोनी ने नगर पालिका  के सहायक अधिक्षक मोती राम को फर्जी नगर पालिका आयुक्त बना कर माउन्ट आबू कि ऐ.डी.जे. अदालत में पेश कर दिया और श्री मोती राम से झूठा शपथ पत्र भी डलवा दिया | लेकिन १३ सितम्बर को ऐ.डी.जे. अदालत ने सुनवाई कि अगली तारीख तक प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट का आदेश ही बरक़रार रखा | लेकिन एस.डी.एम. टीना सोनी ने १५ सितम्बर को फिर कुछ अधिकारी अनिल ऐरन के घर भेजे और जब अनिल ऐरन के भाई सुनील ऐरन ने एस.डी..एम. सोनी से मुलाकात कर उन्हें ऐ.डी.जे. अदालत का आदेश दिखाया तो एस.डी.एम. सोनी ने उसे फाड़ दिया |

सुनील ऐरन के विरोध करने पर एस.डी.एम. सोनी और उनके पति एव परिबिक्षाधीन आई.पी.एस. अधिकारी सत्येन्द्र गुप्ता, जो उड़ीसा में कार्यरत है, ने चप्पलो एव डंडो से श्री सुनील एरें को पिटा | घायल सुनील ऐरन को ७ टांके लगे | उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे अनिल ऐरन को भी गिरफ्तार कर लिया गया | तेज ब्लेड शुगर वाले श्री अनिल ऐरन को जेल के बदले आबू रोड अस्पताल भेजने के कारण माउन्ट आबू के थाना प्रभारी को भी क्रुद्ध एस.डी.एम. सोनी ने लाइन हाजिर कर दिया |

जब धारा १५१ सी.आर.पी.सी. के तहत गिरफ्तार सुनील ऐरन और अनिल ऐरन के कैमरा में इश्वर सिंह को तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया तो तहसीलदार ने उनसे ३-३ लाख रुपये कि तस्दीक शुदा जमानत मांगी | जब दोनों ने इससे कई गुणा ज्यादा कि जमानत प्रस्तुत की तो भी तहसीलदार ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए १६ सितम्बर को जेल भेज दिया और अगले ३ दिन अदालत बंद होने के कारण वे २० सितम्बर तक कोई अर्जी नहीं डाल सकते थे | हेरत की बात है की कलेक्टर शिल्पा शिंदे ने भी उस दिन सभी तहसीलदारों को आदेश दिया की १६ सितम्बर को किसी को तस्दीक शुदा जमानत न दी जाए | जो राजस्थान हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ हाई | १७ सितम्बर को जब अनिल ऐरन आबू रोड के सरकारी अस्पताल में थे तो एस.डी.एम. टीना सोनी ने डाक्टरों पर दबाव डाला की वे अनिल ऐरन का ब्लेड शुगर इतना ऊँचा न दिखाए ताकि उन्हें जेल भेजा जा सके | इनकार करने पर एस.डी.एम. सोनी ने डाक्टरों को भी परेशान किया | सांय ६.१५ बजे बंद होने वाली जेल रात्रि १०.२० बजे खुलवा कर एस.डी.एम. सोनी ने अनिल को जेल भेजा | यह जेल रिकॉर्ड में दर्ज है |

२१ अगस्त को तहसीलदार ने ऐरन बंधुओ को और कैमरा में इश्वर सिंह को जमानत दे दी | चूँकि इन लोगो के खिलाफ एस.डी.एम. टीना सोनी ने भ.द.स. की धारा ३०७ के तहत भी मामला दर्ज कर रखा है | इसलिए उन्हें अन्त्रिम जमानत  दी गई और २५ सितम्बर को अतिरिक्त जिला जज ने अन्त्रिम जमानत ख़ारिज कर दी और अब  अनिल ऐरन राहत के लिए उच्चतम न्यायलय जा रहे है | 

दिनाक २७.०९.२०१० को पी.यू.सी.एल. का दल मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के निवास स्थान पर ज्ञापन देने गए, जिसमे अनिल ऐरन, पी.यू.सी.एल. राजस्थान की महासचिव कविता श्रीवास्तव, हेरल्ड सिंह, निशा सिधु, हेमंत सिंह एव अन्य साथी गए थे | मुख्यमंत्री साहब ने कहा की वो आई.जी. लेवल पर जाँच करवाएंगे | 

 उपरोक्त प्रकरणों और तथ्यों के मध्य नजर पर मुख्यमंत्री से पी.यू.सी.एल. ने मांग रखी  है  -
  • श्री अनिल ऐरन के खिलाफ दर्ज किया गए सभी अपराधिक मामलो की सी.आई.डी./सी.बी. में हस्तांतरित किए गए एव निष्पक्ष एव सही जाँच एक उच्च पुलिस अधिकारी से करवाई जाए |
  • माउन्ट आबू की एस.डी.एम. टीना सोनी के सभी कारनामो व् धांधलियो की जाँच न्यायिक अधिकारी से करवाई जाए | क्यूकी इस जाँच में सिरोही एस.पी. एव कलेक्टर की भूमिका की भी जाँच की जाएगी |
  • एस.डी.एम. टीना सोनी को निलम्बित किया जाए एव माउन्ट आबू से तुरन्त हटाया जाए |
  • टीना सोनी अभी भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रोबेशनर है उन्हें इन सेवाओ में अनुमोदन न की जाए  जिसकी सिफारिश आपके द्वारा केंद्रिया सरकार को तत्काल भेजी जाए |   

भंवर लाल कुमावत (पप्पू) 



बुधवार, 22 सितंबर 2010

Right to Choice (Inter Cast Marriage Vinod-Kiran Beniwal)

विनोद और किरण का प्रेम संघर्ष सफल 

जैसा कि सभी लोग जानते है अंतर्जातिए विवाह करना कोई अपराध नहीं है |  आज कि नोजवान पीढ़ी प्रेम विवाह पर विश्वास कर रही है और तीव्रता से लोग प्रेम विवाह कर अपने जीवन को सुखमई बनाना चाहती है|

आज का यूथ प्रेम तो कर लेता है लेकिन हमारे जाति को ऊँच-नीच पर टिके समाज में प्रेम विवाह किसी बड़े  वो अपने सपनो में भी नहीं सोच पता है कि उसे हमारे मामले में समाज में अपराध से काम नहीं  किन किन परस्थितियो का सामना करना पड़ रहा है | ऐसे कई मामले में पी.यू.सी.एल. राजस्थान के सामने आये है और इन्हें अपार मुसीबतों का सामना करना पड़ा है | भिन्न-भिन्न जातियो के लोगो ने प्रेम विवाह किया है | जैसा कि पी.यू.सी.एल. ने विनोद सैनी और किरण बेनीवाल कि अंतर्जातीऐ  विवाह कराया|

Vinod Sani & Kiran Beniwal
विनोद सैनी एक इंजिनीरिंग का छात्र था और किरण बेनीवाल बी.एड. कि छात्रा थी | पहले दोनों में दोस्ती हुई,  दोस्ती फिर प्रेम में बदल गई, और इन दोनों ने छिप कर शादी कर ली | कुछ समय तक घरवालो को बताया नहीं, फिर जब एक दिन किरण कि छोटी बहन को मालूम हुआ तो उसने घर पर सब घरवालो को बता दिया | घरवालो ने किरण को घर ले गए वे  उसे डाटते, धमकाते  और उसे घर में कैद कर दिया | जब किरण पर घरवालो का दबाव लगातार बन रहा था कि तुम उस लड़के को भूल जाओ | उसी दौरान विनोद को धमकी भरे कॉल, गलिया आदि दी जाने लगी |  एक दिन किरण ने छिपके से विनोद को फ़ोन किया और घर से निकल आई | उसके बाद वो कविता श्रीवास्तव जी के पास पी.यू.सी.एल. में आई | कविता श्रीवास्तव जी ने उनकी पूरी बात सुनी और कहा कि वो उन्हें सारी बात लिख कर दे | उसी दौरान किरण के पिताजी ने परिवार के लोगो के साथ पंचायत बिठाई | कुछ समय तक किरण और विनोद छिपते रहे और इधर उधर भाग दौड़ लगी रही |  उसके बाद विनोद और किरण ने किरण को पिताजी को पुलिस से  पाबंद करवाया और कहा गया कि उसे उसके पिताजी से खतरा है और जो मुझ पर आंच आएगी तो वो मेरी पिताजी द्वारा दी गई होगी | कुछ समय मामला ठंडा हो गया सब कुछ अच्छा चलने लगा | 

Kiran Beniwal & Sweet Child Purvansh
एक दिन अचानक किरण के भाई का फ़ोन आता है कि उसने प्रोपर्टी का काम चालू किया है और वह चाहता है कि विनोद उसका फ्लैट देखने उसके साथ चले मालविया नगर | पर किरण का दिमाग को दाल में कुछ काला लगा की एक दम से कैसे ये प्यार उमड़ आया | इनके प्रति तभी किरण बोली कि वो भी विनोद के साथ जाएगी | इनके साथ फिर एक दिन तय करके वो फ्लैट देखने मालवीय नगर गए | जैसे ही वो फ्लैट  में अन्दर घुसे तो किरण के भाई ने दरवाजा बंद करके दोनों को सरिये व् पाइप से मारने शुरू कर दिया | उसी पाइप कि छोटो से विनोद और किरण के सर फोड़ डाले उसने दोनों के सर में २४ टांके आये| फिर किरण ने अपने भाई पर केस दर्ज करवाया और उसे पाबंद करने का प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया |  पुलिस उसके भाई को ढुंढने लगी किरण का भाई रवि बेनीवाल तब भी लगातार फ़ोन पर धमकिया दे रहा था कि  वह उन दोनों को जान से मार देगा || फिर किरण के घरवाले विनोद के घरवालो को सताने लगे और कहने लगे या तो हमें लड़की लौटा दे नहीं हम उसे जिन्दा दफना देंगे |  काफी समय तक केस चलता रहा | एक दिन किरण का भाई गिरफ्तार कर लिया गया  पर कुछ समय में वो जमानत पर छूट गया | फिर कुछ समय बाद कोर्ट से किरण के फेवर में अच्छा आर्डर आया | उसके बाद से उसके घरवालो ने उसे परेशान करना बंद किया| फिर पी.यू.सी.एल. राजस्थान कि महासचिव कविता श्रीवास्तव ने जाट समुदाय और माली समुदाय के लोगो को बुला कर किरण और विनोद के लिए एक अच्छा सा रिसेप्सन का कार्यक्रम करवाया | जिसमे  जयपुर के अनेक लोगो ने भाग लिया और किरण कि बहादुरी कि दात दी| फिर किरण को  उरमूल ट्रस्ट में काम करने के लिए बीकानेर जाना पड़ा और विनोद ने अपना इंजीनियरिंग पूरी कि |  अब वह प्राइवेट कंपनी में  अछि तन्ख्वा पर काम कर रहा है | किरण ने फिलहाल भी अपने बच्चे के लिए उरमूल ट्रस्ट  छोड़ दिया है | विनोद और किरण का एक छोड़ा सा प्यारा सा २ साल का बच्चा है और  वो  हसी खुसी जीवन जी रहे है | उन्होंने कभी जीवन में ये नहीं सोचा होगा कि उनका  प्रेम इस मोड़ से होते हुए गुजरेगा | किरण हमेशा टिकी रही कभी घबराई नहीं और नहीं विनोद का साथ छोड़ा |  किरण ने  समाज, परिवार, दुनियादारी से डट कर सामना किया और अपने सच्चे प्रेम को अंजाम दिया|

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

7 varsh ki Piya ki adhyapika ne copy se mar kar aankh phodi

पिया और माँ ओमवती 
पिया चौधरी उम्र ७ साल द टेंगोर स्कूल (सी. बी. एस. सम्बद्ध) मंडवा रोड सीतसर, झुंझुनू में अध्यनरत है | दिनांक ३-०७-२०१० को पिया का गणित विषय का गृहकार्य पूरा न होने के कारण अध्यापिका प्रतिभा सिंह पत्नी सतवीर सिंह, गाँव बुढाना, ने पहले कॉपी से व् बाद में थप्पड़ो से पिटाई कि जिसके कारण कॉपी के कोने से आँख में चोट लगने के कारण पिया कि आँख कि रोशनी  पूरी तरह से चली गई |

बच्ची  के पिताजी श्री वीरेन्द्र चौधरी थल सेना में रांची, झारखण्ड में कार्यरत है तथा माता श्रीमती ओमवती उर्फ सोनू जयपुर में कार्यरत है | पिया अपने नाना-नानी के साथ झुंझुनू कसबे के गाँव भालोठिया कि ढाणी में रहती है | वँही विद्यालय कि ही बस से पिया स्कूल जाती है | दिनांक ३.०७.२०१० का बच्ची का गृहकार्य पूरा न होने के कारण कोपी से मारा | बच्ची तथा कक्षा के अन्य बच्चो के बताये अनुसार सुबह दुसरे कालांश में ही बच्ची को चोट लग चुकी थी | चोट लगने के कारण बच्ची कि आँख  से पानी गिर   रहा था व् खून इकठ्ठा हो गया | चोट लगने के बाद भी विद्यालय के शिक्षको व् एडमिनिस्ट्रेशन के द्वारा कोई सुरक्षात्मक उपाय नही किए  | शाम को घर जाने के बाद बच्ची कि स्थिति को देखकर उसके ताउजी ने दिनांक ४.०७.२०१० डॉ. नगेन्द्र सिंह को दिखाया | उन्होंने तीन दिन कि दवा देकर वापस दिखाने के लिए कहा | दिनांक ५.०७.२०१० कि स्थिति में सुधर न होने के कारण दिनांक ६.०७.२०१० को महादेव नेत्र सिंधी अस्पताल में डॉ पी. के. सहगल को दिखाया | उन्होंने मामले को गंभीरता से देखते हुए तुरंत ऑपरेशन करने को कहा | दिनांक ६.०७.२०१० को बच्ची का आँख का ऑपेरशन कर दिया व् शाम को छुटी दे दी | दिनांक ७.७.२०१० को डॉ सहगल ने बताया कि बच्ची कि आँख कि रोशनी ९८ प्रतिशत जा चुकी है | आप यदि  चाहे तो २ प्रतिशत किसी बड़े अस्पताल में दिखा सकते है | डाक्टर के ऐसा कहने के बाद बच्ची कि माँ ने सदर थाना झुंझुनू में इसकी रिपोर्ट लिखवाने के लिए बच्ची को लेकर गई|

थाने में पहले तो रिपोर्ट दर्ज नहीं कि गई व् समझोता करने के लिए बच्ची कि माँ पर दबाव डाला गया | थाने से विद्यालय के लोगो को बुलाया गया | वे बच्ची कि माँ के साथ समझोता करने के लिए व् केस न करने के लिए दबाव डालने लगे | बच्ची कि माँ ने समझोता करने से मन कर दिया व् एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए कहा | तब जाकर पुलिस ने भगवानदास खेतान अस्पताल, झुंझुनू में बच्ची का मेडिकल करवाया | बच्ची कि माँ को एफ.आई.आर. कि कॉपी भी नहीं दी गई | मेडिकल रिपोर्ट में भगवनदास खेतान अस्पताल से बच्ची को जयपुर रेफर कर दिया| थाने में बच्ची कि माँ को कहा गया कि थाने का कोई  भी व्यक्ति आपके साथ जाएगा तभी आप जा सकती है | बच्ची कि स्थिति गंभीर होने के कारण बच्ची कि माँ ने जल्दी करने को कहा तो थाने से यह कहा गया कि आपको ज्यादा जल्दी है तो आप अकेले ही चली जाओ | बच्ची कि हालत देखकर बच्ची कि माँ उसे जयपुर ले आई | दिनांक ८.०७.२०१० को सुबह जयपुर पहुची  व् डॉ विशाल अग्रवाल को दिखाया उन्होंने बताया कि बच्ची कि आँख कि रोशनी पूरी तरह जा चुकी है | आप बच्ची को दिल्ली एम्स में या फिर पी.जी.आई. हॉस्पिटल में दिखा सकते है | बच्ची कि माँ ने लिखित में देने के लिए कहा लेकिन एम्.एल.सी. रिपोर्ट होने के कारण इ पुलिस साथ में न होने के कारण उन्होंने लिखित में देने से मन कर दिया | 

दिनांक ८.०७.२०१० को बच्ची को आर.आर. आर्मी हॉस्पिटल, दिल्ली में दिखाया गया | वंहा के डॉक्टर ने बताया कि बच्ची कि आँख में विट्रस हेमरेज हो गया है | जिसके कारण आँख कि रोशनी जा चुकी है | इसी दोरान बच्ची कि माँ बच्ची को दिनांक १०.०७.२०१० को पी.जी.आई. हॉस्पिटल चंडीगढ ले गई | दिनांक १०.०७.२०१० से १२.०७.२०१० तक सभी प्रकार कि जाँच के बाद वंहा के एच.ओ.डी.  डॉ एम्. आर. डोगरा ने बताया कि बच्ची कि आँख कि रोशनी पुर्णत: जा चुकी है वह वापस भी नहीं आ सकती और न ही डोनेट कि गई आँख बच्ची को लगे जा सकती है | इसी दोरान विद्यालय के अडमिनीस्ट्रेर व् प्रिंसिपल के फ़ोन  आते रहे तथा समझोते के लिए दबाव डाला जाता रहा तथा बराबर धमकिया भी दी गई |

मामले में पुलिस द्वारा धरा ३२३, ३४१ व् ३२५ लगाकर बयां दर्ज करके कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया | आगे की कार्यवाई कोर्ट द्वारा किए जाने की बात कहकर पुलिस मामले के बारे में बात भी करना नहीं चाहती है | इस मामले में बच्ची की माँ एस.पी. व् जिला कलेक्टर, झुंझुनू, आई. जी. से भी मिली परन्तु उन्होंने केवल उचित कार्यवाई का आश्वासन दिया परन्तु कार्यवाई की नहीं की |

जिला शिक्षा अधिकारी व् जिला प्रशासन ने सब कुछ अपनी जानकारी में होते हुए भी कोई प्रशासनिक कार्यवाई नहीं की है जबकि जे जे एक्ट की धारा २३ तथा शिक्षा के अधिकार की धारा १७ के अंतगर्त इस मामले में तत्काल कार्यवाई की जानी अपेभित थी | स्कूल प्रशासन द्वारा भी मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है | बच्ची की माँ न्याय के लिए प्रयास कर रही है 

हम चाहूँगा  की सभी विद्यालयों में इस प्रकार की मारपीट की घटनाये होती है उन्हें बंद किया जाना चाहिए जिससे भविष्य में बच्चो के साथ ऐसी घटनाये दोबारा नहीं हो और कभी किसी पिया इस तरह अपनी आँख न खोनी पड़े |

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

शनिवार, 31 जुलाई 2010

Himanshu Kumar ki cycle yatra ka 33 padava jaipur me.......

आदिवासी बचाओ-मानवता बचाओ-लोकतंत्र बचाओ-भारत  बचाओ

गाँधीवादी कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार जो कि छतीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में लम्बे समय से आदिवासियों के साथ सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे, उनके नेतृत्व में देशव्यापी साईकिल यात्रा राजस्थान में ३० जुलाई २०१० को जयपुर में ३३ पड़ाव था, वे २७ जून को राजघाट से निकल कर हरियाणा, पंजाब होते हुए १७ जुलाई को संगरिया, हनुमानगढ़ जिले से राजस्थान में प्रवेश किया, संगरिया, हनुमानगढ़, रावतसर, पल्लू, सरदार शहर, चुरू, झुंझुनू, बबई, नीम का थाना, कालाडेरा, चोमू होते हुए उन्होंने जयपुर जिले में ३३ पड़ाव डाला

हिमांशु कुमार छतीसगढ़ में आदिवासिओ के न्याय के लिए किये जा रहे संघर्षो में अहिंसा के सिद्धांतो को स्थापित करने के लिए कार्य कर रहे है, हिमांशु कुमार राज्य द्वारा आंतरिक्ष सुरक्षा के नाम पर आदिवासिओ और सामाजिक कार्यकर्ताओ के जनतांत्रिक और नागरिक हको पर हमले एव देश में लोकतंत्र को मजबूत करने को लेकर अपनी बात रखते है, इसी कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी यात्रा का नाम ''आदिवासी बचाओ-मानवता बचाओ-लोकतंत्र बचाओ-भारत  बचाओ''  रखा है,

हिमांशु  कुमार जी ने जयपुर में पहला सवांद कानोडिया कॉलेज में छात्राओ के साथ रखा और उसके बाद वो साईकिल से साय ३  बजे प्रेस सम्मलेन में परमानन्द हॉल पहुचे और वंहा प्रेस से वार्तालाप कि और उसके बाद वो साय ५ बजे से जयपुर के लोगो कि बिच अपनी बात रखी और उन्होंने कहा कि वो अपनी बात चीत आदिवासिओ से चालू करेंगे और उन्होंने कहा  कि आप लोगो से वे सवाल जवाब भी चाहेंगे, उनका पहला सवाल था कि कौन लोग ज्यादा मेहनत करते है या फिर जो कम मेहनत करते है, में चाहूँगा कि आप इसका जवाब दे आप, हम जानते है कि इस देश का गरीब किसान ८० प्रतिशत मेहनत करता है, कुपोषण और बीमारी कि हालत में है और दूसरी तरफ वो लोग जो मेहनत करते ही नहीं वो मजे में है, इस हम न्याय कहेंगे या अन्याय फिर में आज कल स्कूलों में आज कल पूछता हु कि हम लोग गन्दगी करते है तो क्या साफ करने वाले अछे माने जायेंगे या गन्दगी करने वाले अछे माने जायेंगे तो बच्चे तो खाते है कि सफाई करने वाले, ज्यादा इज्जत किसे मिलनी चाहिए तो बच्चे कहते है कि सफाई करने वाले को, तो हम पूछते है कि ये अन्याय है कि न्याय तो बचे कहते है अन्याय है और ये अन्याय हम ही कर रहे है, यानि हम एक अन्याय वेवस्था में रह रहे है उस अन्याय वेवस्था का हिस्सा है और उसे मजबूत बनाये हुए है और अगर इसे बदलने कि कोशिश करता है तो हम उसका विरोध करते है और हमारे देश  में तो विरोध करने वाला परम्परागत छोटा है कपडा   बनाने वाला छोटा और पहनने वाला बड़ा,जूता  बनाने वाला छोटा और पहनने वाला बड़ा, सफाई करने वाले छोटे और गन्दगी करने वाले बड़े, मेहनत करने वाला छोटा सामाजिक तोर पर, आर्थिक तोर पर, अधिकार तोर पर, हर तरीके से कम करने वाला छोटा व् कम न करने वाला बड़ा पढ़े लिखे, सामाजिक रूप से भी, आर्थिक रूप  से भी, राजनेतिक रूप से भी और हम इसका ढोल बजाते है कि हमारी संस्कृति देखिये कि कितनी महान है, जो पूरी कि पूरी गरीब मेहनतकश लोगो को छोटा बनती हो और छोटा रखती हो, उसे शान समझती हो, और उसे कोई बदलने कि बात करता है तो हिंसा, समाज विरोधी, कहने लगते है और तरह तरह कि बाते कहने लगते है, वेद-शास्त्र, कुरान ये सब बाते ले आते है ये एक बेग्रौंद था जो हमारे दिमागों में था,

हिमांशु जी के  पिताजी ने  गाँधी जी के साथ काम  किया जैसे मेरे पद दादा जी थे वो स्वामी दयानंद जी के शिष्य थे उत्तरप्रदेश में और महर्षि दयानंद जी हमारे घर में ठहरा करते थे और हमारे पद दादा जी ने ब्राहमणों ने जहर देकर मर दिया था, क्यों कि वो जात-पात का विरोध किया करते थे, तो ये पागलपन हमारे खानदान में है, हमने पढ़ते समय सोच लिया था कि हम सरकारी नोकरी नहीं करेंगे, गाँव में जाकर कम करेंगे क्यों कि गाँधी जी ने कहा था कि नोजवानो को गाँव में जाना चाहिए और गाँव का विकास करना चाहिए, तभी इस देश का विकास होगा, वरना इस देश का लोकतंत्र गुंडों के हाथ में चला जायेगा, तो शादी के एक महीने बाद पत्नी को लेकर मेरी पत्नी देल्ली कि है और पंजाबी है और उसे लेकर दंतेवारा चले गए वंहा एक जंगल में एक पेड़ के निचे रहना शुरू किया , कमलनाथ नाम के एक गाँव में वंहा के बच्चो को ले जाकर हेंडपंप पर ले जा कर नहलाते थे और उनको पढ़ते थे और वंहा के आदिवासी हम पर हँसते थे कि ये केसे केसे लोग आये है जो हमारे बच्चो को नहलाते है इतने भले लोग वो आदिवासी, हमारी २ बेटिया हुई एक १३ साल कि है अरु एक ८ साल कि है, और आज हमारे भारत कि सरकार इन आदिवासिओ को देश का खतरा खहती है, ये तो सब खूखार है साहब ये तो ट्रेने उड़ा देते है, सी आर पी फ को मार डालती है, वो आदिवासी हम उनके साथ १८ साल रहे है उन्होंने हमको प्यार के सिवाय कुछ भी नहीं दिया, हमारी दोनों बेटियो को गाँव कि महिलाये ही उठा कर ले जाती थी और वो ही उन्हें नहलाती और धुलाती थी, खाना खिलाती थी वो रात में सो जाती थी, हम तो शादी के एक महीने बाद पहुचे थे मेरी पत्नी का बेनिती बॉक्स था उसको खली किया और उसमे दवाइया भरी और घूमते थे गाँव में, दवाइया बाँटते थे और पढ़ाते थे बच्चो को मलेरिया से बच्चे मर रहे थे और दूसरा गाँव में अध्यापक नहीं आता है, १० साल हो गए एक भी बछा ५ पास नहीं कर पाया, राशन कि दुकान पर राशन नहीं मिलता है, इसी तरह हमने लोगो को संगठित करना शुरू किया हमने कहा चलो कलेक्टर के पास पहुचेंगे उनसे क्यों नहीं मिलता है राशन जब ये पूछना चालू किया तो प्रशासन ने नक्सली कहना शुरू कर दिया , वैसे सरकार  कहती है कि आदिवासी लोग विकास होने नहीं देना चाहते है , अगर  आप विकास कि बात करेंगे तो आपको नक्सली कहा जायेंगा तो हमने कहा जो हम करने आये है हम तो वो ही करेंगे तो हम करने लगे, २००४ में सरकार आई तो खनिज के सोदे बाजी हुई, क्या आप जानते है कि जंहा-जंहा आदिवासी है वँही खनिज है, आदिवासिओ कि जमीनों पर कब्ज़ा कर लिया गया और फिर आदिवासी जंगलो में रहने लगा, सरकने एक सोदा किया ४ जून २००५ को टाटा कंपनी के साथ और ५ जून २००५ को सलवा जुडूम नाम का एक अभियान शुरू कर दंतेवारा में गाँवो को खली करवाने का, टाटा कंपनी एक विदेशी कंपनी है  उसके साथ एक समझोता किया गया कि ५ जून से दंतेवारा में गाँव खली करवाने का अभियान छेड़ दिया गया, सरकार ये कहती है कि ये सविधान नाक्स्लातो को नहीं मानती है, तो क्या तुम मानते हो क्या, अगर आप  आदिवासिओ कि जमीन लोगो तो उसका ये प्रावधान है कि सिडुँल एरिया में सरकार ये सूचित करेगी कि ग्राहक को कि ये दिदुअल एरिया में है, कलेक्टर जायेगा एरिया में और जमीन का मुखिया को कहा जाएगी कि कितनी जमीन जाएगी, न कि पुलिस जाएगी, किसको जमीन के बदले में जमीन दी जाएगी क्या बच्चे को नोकरी दी जाएगी क्या....... हमारी  संस्था ने ३५ गाँव बसाये, हमारे जो कार्यकर्त्ता जो गाँव बसा रहे थे उन्हें जेलों में दल दिया गया.

ये गाँव है सिंगारा पुलिस ने दावा किया कि नक्सलो के साथ मुठ भेड़ हुई है उसमे १९ नाक्स्लेड मरे गए है उसमे ४ लडकिया है हिमांशु जी उस गाँव में गए उन्होंने देखा कि और गाँव के लोगो ने कहा कि १९ लोगो कि भीड़ में ये ४ लडकिया पकड़ में आ गई उन लडकियो को चाकू से मारा गया और लडको को लाइन में खड़ा करके बन्दुक से मार दिया गया, एक लड़की कि आत बहार आ रही है ये तभी संभव है जब चाकू मारा जाता है, हमें कोर्ट में ये पूछा कि आप नक्सलियो को गोली मरते हो और नक्सली आपको गोली मरते है तो आपने चाकू कैसे मारा और फिर लडकियो ही कैसे चाकू मारा इसके बाद हमारा १८ साल पुराना आश्रम जो ६० स्कूल चलाता था, एक हजार गाँव में दवाइया बांटता था, १८ साल पुराने आश्रम पर बुलडोजर चला दिया सरकार ने कि तुम इनके लिए इंसाफ क्यों मांग रहे हो, एक अक्टूबर का केस है २ साल के बचे कि ३ उंगलिया काट दी गई है और उस बचे कि माँ को चाकू मार कर मार दिया गया,इसकी मोसी, नाना, नानी और इस बच्चे के गाँव के ९ लोगो को मर दिया गया, हिमांशु जी ने इस घटना कि सीडी चिदाम्बरण को दी और उसके बाद पुलिस आ कर बच्चे को उठा ले गई, अभी भी वह बछा जेल में बंद है मैकेलाल में दम नहीं जो उस बच्चे को छुड़ा ले, चाइल्ड राईट कि अध्यक्षा को कहा कि इस बच्चे को छुड़ा कर लेट है लेकिन नहीं छुड़ा पाए आज भी वह बछा थाने में बंद है, हमने कई बार नक्सलियो से बात कि आपका रास्ता गलत है तो वो कहते है तुम न्याय दिला कर दिखा दो हम मन जायेंगे कि हमारा रास्ता अलग है,  हमने इंसाफ दिलाने कि बात कि तो हमारे कार्यकर्ताओ को जिलो में डाल दिया गया आज भी जिलो में है हमारे कार्यकर्त्ता अपने ही लोकतंत्र ने अपने ही बस्तर में ध्वस्त कर दिया,

हिमांशु जी चिदाम्बंर्म से एव राहुल गाँधी से मिला तो चिदंबरम ने कहा कि हम नाक्सालियो से बात कैसे कर सकते है, तो हिमांशु जी ने कहा कि नक्सलियो से बात मत करो लेकिन आदिवासिओ से तो बात कर सकते हो, राहुल गाँधी ने कहा कि आदिवासी नक्सलियो कि तरफ क्यों जा रहे है तुम पूछो तुम तो बहुत अछे हो तुम अपनी समीक्षा करो और पूछो अपने आप से तो उन्होंने कहा कि आप चिदम्बरम साहब से मिल लीजिये हिमांशु जी ने खः कि मिल लेते है, हिमांशु जी ने कहा कि में आदिवासिओ को इकठ्ठा कर लेता हु आप मिल लीजिये सरदार पटेल गृह मंत्री होते तो अभी तो जाकर आदिवासिओ के बिच जाकर बैठ जाते और पूछते कि बताओ तुम्हारी क्या समस्या है क्यों हिंसा कर रहे हो तो आप भी चलिए में इकट्टा करता हु आदिवासिओ को अब चिदम्बरम जी फस गए क्यों कि चिदम्बरम जी तहलका मैगजीन में कहा था कि सोमा चौधरी ने पूछा  था कि  हिमांशु जी आपको दंतेवारा आदिवासिओ के बिच बुलाएँगे तो क्या आप जाओगे और उन्होंने कहा कि हा क्यों नहीं जरुर जाऊंगा तो हिमांशु जी ने कह दिया तो चिदम्बरम जी फस गए उन्होंने डेट मांगी तो हिमांशु जी ने ७ जनवरी डेट दे दी उन्होंने ७ जनवरी कि डेट लेकन नहीं पहुचे और कहा कि हिमांशु जी ने डेट नहीं दी और हिमांशु जी के पास आज भी भी वो सन्देश मोबाईल में जो चिदम्बरम जी को किया गया था, 

हिमांशु जी ने कहा कि आज का माध्यम वर्ग को मीडिया ने क्रिकेट, फिल्म शोव्स, आदि में उलझा रखा है और वो ये भी कहते है कि जब वो डिस्चार्ज हो जाते है तो वो माध्यम वर्ग के बिच नक़ल पड़ते है, और आज का सिस्टम ऐसा है कि अगर उसके खिलाफ कोई आवाज उठाएगा तो सबसे पहले उसे नाक्स्लैद घोषित कर दिया जायेगा, और हमें अपने गाँवो के विकास कि और ध्यान देना चाहिए 
अगर हमें इस लोकतंत्र को चलाना है तो लोगो  के बिच उतरना पड़ेगा.......

भंवर  लाल कुमावत (पप्पू ) 

शनिवार, 17 जुलाई 2010

Beti ka Jeevan

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गुरुवार, 17 जून 2010

PUCL ka Pradesh Me Badhati Hirasat me Mot & Pratadana ko lekar Home Minister Shanti Dhariwal ke Ghar ke bahar Protest

 पी यू सी एल के नेतृत्व में एक प्रदर्शन गृह मंत्री शांति धारीवाल के बंगला नंबर ४, हॉस्पिटल रोड के बाहर किया गया |  मांग थी की तत्काल सेपुऊ थाना अधिकारी राजेंद्र कविया और अन्य रींगस थाना अधिकारी बालाराम चौधरी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की जाय और संविधान की अनुच्छेद ३११ के तहत सभी दोषी पुलिसकर्मियों की निष्कासन कार्यवाही हो |

पी यू सी एल का मानना था की राज्य में पिछले ५ दिनों में सीकर जिले के रींगस थाने में हिरासत में एक नौजवान की मौत और धौलपुर जिले सा सेपुऊ थाने में ७५ वर्षीय बुजुर्ग को पेड़ से लटकाने की घटनाओ ने स्थापित किया है कि राजस्थान पुलिस निरंकुश होती जा रही है | यह अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर हम पुलिस को रक्षक नहीं, भक्षक कहेंगे | पुलिस का कम है कि देश का कानून लागू करना न कि कानून अपने हाथ में लेकर मनमानी करना | देश के संविधान के तहत मानवाधिकारो के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता लेकिन राजस्थान पुलिस को संविधान और मानवाधिकारो की जैसे कोई परवाह ही नहीं है |  वह अब भी जनता पर अत्याचार करने वाली सामन्ती युग के राजपुताना की पुलिस लग रही है न की आजाद और लोकतांत्रिक भारत की प्रहरी हो |

प्रदर्शन में पी यू सी एल के अध्यक्ष श्री प्रेम कृष्ण शर्मा, उपाध्यक्ष राधाकांत सक्सेना, निशात हुसैन, जयपुर जिला ईकाई के सचिव हेरोल्ड सिंह, कार्यकारिणी सदस्य मेवा भारती, गोविन्द बेनीवाल और वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार जैन के शामिल होने के साथ-साथ अनेक नौजवान छात्र-छात्राओ, मजदुर ने सक्रिय भागीदारी निभाई | उन्होंने अनेक नारे लगाये जैसे "खाखी वर्दी में हत्यारे", "रक्षक बने भक्षक", "राजस्थान पुलिस धौलपुर और रींगस का जवाब दो"  इत्यादि | नारों में रींगस और सीपाऊ थाना गिरफ्तारी की भी मांग राखी गई | 

उनका यह भी कहना था की राजस्थान पुलिस कानून २००७ का "पुलिस की जवाबदेही"  को लेकर अध्याय ९ की धारा ६२ से ६९ को जानबूझ कर लागू नहीं कर रही है | क्यों कि अगर इन धाराओ के तहत राज्य और जिलास्तरीय पुलिस जवाबदेही समितिया गठित हो जायेंगी तो पुलिस की मनमानी और अत्याचार की घटनाओ की जाँच होगी | इन धाराओ को लागू करने की भी मांग राखी |

गृह मंत्री शांति धारीवाल पूरे समय नदारद रहे और ज्ञापन अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट लोकनाथ सोनी ने उनके और से प्राप्त किया | पी यू सी एल ने तय किया है कि अपनी मांगो को लेकर न्यायपालिका के भी दरवाजे खट खटाएंगे |

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

Rozi-Roti Adhikar Samuh Phagi dwara Bhojan ke adhikar ko lekar phagi S.D.M. office ke bahar dharana pardshan kia gaya

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मंगलवार, 9 मार्च 2010

100 Years of International Women's Day.....









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