मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

पी.यू.सी.एल. की महासचिव कविता श्रीवास्तव के घर की तलाशी गैर कानूनी को लेकर धरना प्रदर्शन


दिनांक: 7.10.2011
समय: प्रातः 11 बजे से
स्थान: स्टेच्यू सर्किल, जयपुर

प्रिय साथियों,

जैसा कि आपको विदित होगा 3 अक्टूबर 2012 को प्रातः लगभग 6.30 बजे राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार की मिलीभगत के साथ कविता श्रीवास्तव के घर पर मात्र शक के आधार पर पुलिस द्वारा एक गैर कानूनी निन्दात्मक, पूर्णतया निन्दनीय और आतंकित करने वाला छापा मारा गया। जिस प्रकार से एक ट्रक पुलिस फोर्स के साथ जिनके पास ऐ.के. 47 बंदूके थी, जिस प्रकार पूरे घर को चारों तरफ से घेरा गया, जिस प्रकार 15-20 पुलिस जबरदस्ती घर के अंदर घूसे और औरतो के साथ दुर्व्यव्यवहार किया गया और यहां तक कि घर में काम करने वाली महिलाओं को आतंकवादी कह कर पकड़ने का प्रयास किया गया, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह छापा कार्यक्रम एक सोची समझी साज़िश के तहत एक ऐसी महिला को जिसने अपनी पूरी जिदंगी सताये गये, गरीब और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने में बिता दी, यह सारी साजिश उस महिला को डराकर चूप करने के लिये की गई थी। 

लगता है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मिलकर राजस्थान सरकार की पुलिस द्वारा यह काम कविता श्रीवास्तव के विरूद्ध बदले की भावना से किया गया है। कविता जी दिन प्रतिदिन पीड़ित व्यक्तियों को इंसाफ दिलाने के लिये पुलिस के काले कारनामों को उजागर करती रहती है और इंसाफ दिलाने के लिये उन पर निरंतर दबाव बनाती रहती है। संभवतः पुलिस कविता जी के विरूद्ध कार्यवाही के लिये मौके की तलाश में थी और छत्तीसगढ़ सरकार भी कविता श्रीवास्तव के पीछे खार खाये हुये है क्योंकि डॉ. बिनायक सेन की रिहाई में बड़ी भूमिका निभाई थी एवं छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें यह अवसर प्रदान कर दिया। हाल ही में कविता जी के द्वारा गोपालगढ़ में सरकार द्वारा जो घृणित कृत्य को उजागर किया और जिस प्रकार यू.पी.ऐ. सरकार को गरीबि रेखा के संदर्भ में जो शर्मीन्दगी उठानी पड़ी है लगता है इससे भी सरकार नाराज थी और उन्हें एक सबक सिखाना चाहती थी। 

साथियों राजस्थान सरकार की पुलिस के द्वारा की गई कार्यवाही एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है उन सभी के लिये जो सामाजिक मुद्दों पर कार्य कर रहे है और अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहे है चाहे वो औरतों के मुद्दों पर हो चाहे वो भूख और गरीबी पर हो या अल्पसंख्यकों को मुद्दा हो। साथियों हमें सरकार को स्पष्ट रूप से यह संदेश देना होगा कि उनके द्वारा पुलिस की ताकत या किसी भी अन्य प्रकार से सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को चूप कराने की कोई भी कार्यवाही हमें हमारे रास्ते से नहीं भटका सकती है। राजस्थान की जनता सरकार के इस प्रकार के प्रजातांत्रिक अधिकारों पर गैर कानूनी और बर्बर तरिकों को बरदास्त नहीं करेगी। 

राजस्थान सरकार और विशेषकर राजस्थान पुलिस द्वारा इस शर्मनाम कार्यवाही के विरोध में 07 अक्टूबर, 2011 को प्रातः 11 बजे स्टैच्यू सर्किल के पास वाले मैदान में एक सभा और रैली को आयोजन किया गया है। कृपया अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर इसे सफल बनाने को प्रयास करें। 

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

पी.यू.सी.एल. की महासचिव कविता श्रीवास्तव के घर की तलाशी गैर कानूनी एवं जवाब आंदोलन कर के दिया जायेगा।


छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक बार फिर से अपनी वाहियात और बर्बर हो चली नक्सल विरोधी मुहिम का उदाहरण पेश किया है। राज्य सरकार और पुलिस लगातार ऐसे लोगों को निशाना बनाती रही है जिन्होंने राज्य में मानवाधिकारो के लिए काम किया है और आम जन के दमन का विरोध किया है। अलोकतांत्रिक हो चले ढ़ाचे को लोकतंत्र के रास्ते पर लाने के लिए आवाज उठाना इस व्यवस्था को नागवार गुजरता है। 

अलसुबह मानवाधिकार कार्यकर्त्ता कविता श्रीवास्तव को अपना निशाना बनाया। प्रात‘ 6.30 बजे के करीब 60-70 एस.टी.एफ. के जवान, ब्लैक कैट कमांडो एवं बजाज नगर थाना डीवाई एस.पी. राजेन्द्र सिंह शेखावत, एस.एच.ओ. सोहन गोदारा के नेतृत्व में एवं छत्तीसगढ़ से आये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री मेमन ने गैर कानूनी तरीके से छापा मारा एवं 15-20 पुलिस वाले घर के अन्दर बिना कोई भी कागज दिखाये घर के अन्दर घुस गये व सबसे ज्यादा घरेलू कामगार महिलाओं को परेशान करने लगे। कुछ भी प्राप्त होने पर वे वहां से निकल गये ना कोई कागज दिया एवं केवल यह बोला कि इस घर में कोई माओवादी छिपा हुआ है। 

पी.यू.सी.एल. का मानना है कि छत्तीसगढ़ की पुलिस व राजस्थान की पुलिस साजिश के तौर पर कविता श्रीवास्तव के घर इसलिए आई कि क्योकि कविता श्रीवास्तव डॉ. बिनायक सेन की रिहाई एवं छत्तीसगढ़ में चल रहे अनेको गैर कानूनी हिरासत व मुठभेड़ की मौतों के मामलो को उठाया है। राजस्थान सरकार पुलिस भी कविता श्रीवास्तव से नाराज हैं क्योंकि लगातार पुलिस की अनियमितताओ को लेकर आंदोलन किये है। जैसे गोपालगढ़ ।

कोर्ट से जो तलाशी कागज लिया गया वो पूर्ण रूप से गैर कानूनी हैं। क्योंकि धारा 79 स्पष्ट कहती है कि केवल कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस कोई भी गिरफ्तारी वारंट को इन्द्राज कर सकते है। यहां एस.एच.ओ. शिव रतन  ने छत्तीसगढ़ पुलिस को ऐ.सी.जे. साबुद्दीन के घर से रात 10 बजे आर्डर लाई। तलाशी वांरट अपने में ही गैर कानूनी है। पी.यू.सी.एल. के अध्यक्ष प्रेमकृष्ण शर्मा व अधिवक्ता अजय कुमार जैन हस्तक्षेप कर गैर कानूनी घर की तलाशी को चुनौती देगा। पी.यू.सी.एल. इसके विरोध में जयपुर, दिल्ली व छत्तीसगढ़ में आंदोलन करेगा।