सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

पी.यू.सी.एल. की महासचिव कविता श्रीवास्तव के घर की तलाशी गैर कानूनी एवं जवाब आंदोलन कर के दिया जायेगा।


छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक बार फिर से अपनी वाहियात और बर्बर हो चली नक्सल विरोधी मुहिम का उदाहरण पेश किया है। राज्य सरकार और पुलिस लगातार ऐसे लोगों को निशाना बनाती रही है जिन्होंने राज्य में मानवाधिकारो के लिए काम किया है और आम जन के दमन का विरोध किया है। अलोकतांत्रिक हो चले ढ़ाचे को लोकतंत्र के रास्ते पर लाने के लिए आवाज उठाना इस व्यवस्था को नागवार गुजरता है। 

अलसुबह मानवाधिकार कार्यकर्त्ता कविता श्रीवास्तव को अपना निशाना बनाया। प्रात‘ 6.30 बजे के करीब 60-70 एस.टी.एफ. के जवान, ब्लैक कैट कमांडो एवं बजाज नगर थाना डीवाई एस.पी. राजेन्द्र सिंह शेखावत, एस.एच.ओ. सोहन गोदारा के नेतृत्व में एवं छत्तीसगढ़ से आये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री मेमन ने गैर कानूनी तरीके से छापा मारा एवं 15-20 पुलिस वाले घर के अन्दर बिना कोई भी कागज दिखाये घर के अन्दर घुस गये व सबसे ज्यादा घरेलू कामगार महिलाओं को परेशान करने लगे। कुछ भी प्राप्त होने पर वे वहां से निकल गये ना कोई कागज दिया एवं केवल यह बोला कि इस घर में कोई माओवादी छिपा हुआ है। 

पी.यू.सी.एल. का मानना है कि छत्तीसगढ़ की पुलिस व राजस्थान की पुलिस साजिश के तौर पर कविता श्रीवास्तव के घर इसलिए आई कि क्योकि कविता श्रीवास्तव डॉ. बिनायक सेन की रिहाई एवं छत्तीसगढ़ में चल रहे अनेको गैर कानूनी हिरासत व मुठभेड़ की मौतों के मामलो को उठाया है। राजस्थान सरकार पुलिस भी कविता श्रीवास्तव से नाराज हैं क्योंकि लगातार पुलिस की अनियमितताओ को लेकर आंदोलन किये है। जैसे गोपालगढ़ ।

कोर्ट से जो तलाशी कागज लिया गया वो पूर्ण रूप से गैर कानूनी हैं। क्योंकि धारा 79 स्पष्ट कहती है कि केवल कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस कोई भी गिरफ्तारी वारंट को इन्द्राज कर सकते है। यहां एस.एच.ओ. शिव रतन  ने छत्तीसगढ़ पुलिस को ऐ.सी.जे. साबुद्दीन के घर से रात 10 बजे आर्डर लाई। तलाशी वांरट अपने में ही गैर कानूनी है। पी.यू.सी.एल. के अध्यक्ष प्रेमकृष्ण शर्मा व अधिवक्ता अजय कुमार जैन हस्तक्षेप कर गैर कानूनी घर की तलाशी को चुनौती देगा। पी.यू.सी.एल. इसके विरोध में जयपुर, दिल्ली व छत्तीसगढ़ में आंदोलन करेगा। 

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