शनिवार, 31 जुलाई 2010

Himanshu Kumar ki cycle yatra ka 33 padava jaipur me.......

आदिवासी बचाओ-मानवता बचाओ-लोकतंत्र बचाओ-भारत  बचाओ

गाँधीवादी कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार जो कि छतीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में लम्बे समय से आदिवासियों के साथ सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे, उनके नेतृत्व में देशव्यापी साईकिल यात्रा राजस्थान में ३० जुलाई २०१० को जयपुर में ३३ पड़ाव था, वे २७ जून को राजघाट से निकल कर हरियाणा, पंजाब होते हुए १७ जुलाई को संगरिया, हनुमानगढ़ जिले से राजस्थान में प्रवेश किया, संगरिया, हनुमानगढ़, रावतसर, पल्लू, सरदार शहर, चुरू, झुंझुनू, बबई, नीम का थाना, कालाडेरा, चोमू होते हुए उन्होंने जयपुर जिले में ३३ पड़ाव डाला

हिमांशु कुमार छतीसगढ़ में आदिवासिओ के न्याय के लिए किये जा रहे संघर्षो में अहिंसा के सिद्धांतो को स्थापित करने के लिए कार्य कर रहे है, हिमांशु कुमार राज्य द्वारा आंतरिक्ष सुरक्षा के नाम पर आदिवासिओ और सामाजिक कार्यकर्ताओ के जनतांत्रिक और नागरिक हको पर हमले एव देश में लोकतंत्र को मजबूत करने को लेकर अपनी बात रखते है, इसी कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी यात्रा का नाम ''आदिवासी बचाओ-मानवता बचाओ-लोकतंत्र बचाओ-भारत  बचाओ''  रखा है,

हिमांशु  कुमार जी ने जयपुर में पहला सवांद कानोडिया कॉलेज में छात्राओ के साथ रखा और उसके बाद वो साईकिल से साय ३  बजे प्रेस सम्मलेन में परमानन्द हॉल पहुचे और वंहा प्रेस से वार्तालाप कि और उसके बाद वो साय ५ बजे से जयपुर के लोगो कि बिच अपनी बात रखी और उन्होंने कहा कि वो अपनी बात चीत आदिवासिओ से चालू करेंगे और उन्होंने कहा  कि आप लोगो से वे सवाल जवाब भी चाहेंगे, उनका पहला सवाल था कि कौन लोग ज्यादा मेहनत करते है या फिर जो कम मेहनत करते है, में चाहूँगा कि आप इसका जवाब दे आप, हम जानते है कि इस देश का गरीब किसान ८० प्रतिशत मेहनत करता है, कुपोषण और बीमारी कि हालत में है और दूसरी तरफ वो लोग जो मेहनत करते ही नहीं वो मजे में है, इस हम न्याय कहेंगे या अन्याय फिर में आज कल स्कूलों में आज कल पूछता हु कि हम लोग गन्दगी करते है तो क्या साफ करने वाले अछे माने जायेंगे या गन्दगी करने वाले अछे माने जायेंगे तो बच्चे तो खाते है कि सफाई करने वाले, ज्यादा इज्जत किसे मिलनी चाहिए तो बच्चे कहते है कि सफाई करने वाले को, तो हम पूछते है कि ये अन्याय है कि न्याय तो बचे कहते है अन्याय है और ये अन्याय हम ही कर रहे है, यानि हम एक अन्याय वेवस्था में रह रहे है उस अन्याय वेवस्था का हिस्सा है और उसे मजबूत बनाये हुए है और अगर इसे बदलने कि कोशिश करता है तो हम उसका विरोध करते है और हमारे देश  में तो विरोध करने वाला परम्परागत छोटा है कपडा   बनाने वाला छोटा और पहनने वाला बड़ा,जूता  बनाने वाला छोटा और पहनने वाला बड़ा, सफाई करने वाले छोटे और गन्दगी करने वाले बड़े, मेहनत करने वाला छोटा सामाजिक तोर पर, आर्थिक तोर पर, अधिकार तोर पर, हर तरीके से कम करने वाला छोटा व् कम न करने वाला बड़ा पढ़े लिखे, सामाजिक रूप से भी, आर्थिक रूप  से भी, राजनेतिक रूप से भी और हम इसका ढोल बजाते है कि हमारी संस्कृति देखिये कि कितनी महान है, जो पूरी कि पूरी गरीब मेहनतकश लोगो को छोटा बनती हो और छोटा रखती हो, उसे शान समझती हो, और उसे कोई बदलने कि बात करता है तो हिंसा, समाज विरोधी, कहने लगते है और तरह तरह कि बाते कहने लगते है, वेद-शास्त्र, कुरान ये सब बाते ले आते है ये एक बेग्रौंद था जो हमारे दिमागों में था,

हिमांशु जी के  पिताजी ने  गाँधी जी के साथ काम  किया जैसे मेरे पद दादा जी थे वो स्वामी दयानंद जी के शिष्य थे उत्तरप्रदेश में और महर्षि दयानंद जी हमारे घर में ठहरा करते थे और हमारे पद दादा जी ने ब्राहमणों ने जहर देकर मर दिया था, क्यों कि वो जात-पात का विरोध किया करते थे, तो ये पागलपन हमारे खानदान में है, हमने पढ़ते समय सोच लिया था कि हम सरकारी नोकरी नहीं करेंगे, गाँव में जाकर कम करेंगे क्यों कि गाँधी जी ने कहा था कि नोजवानो को गाँव में जाना चाहिए और गाँव का विकास करना चाहिए, तभी इस देश का विकास होगा, वरना इस देश का लोकतंत्र गुंडों के हाथ में चला जायेगा, तो शादी के एक महीने बाद पत्नी को लेकर मेरी पत्नी देल्ली कि है और पंजाबी है और उसे लेकर दंतेवारा चले गए वंहा एक जंगल में एक पेड़ के निचे रहना शुरू किया , कमलनाथ नाम के एक गाँव में वंहा के बच्चो को ले जाकर हेंडपंप पर ले जा कर नहलाते थे और उनको पढ़ते थे और वंहा के आदिवासी हम पर हँसते थे कि ये केसे केसे लोग आये है जो हमारे बच्चो को नहलाते है इतने भले लोग वो आदिवासी, हमारी २ बेटिया हुई एक १३ साल कि है अरु एक ८ साल कि है, और आज हमारे भारत कि सरकार इन आदिवासिओ को देश का खतरा खहती है, ये तो सब खूखार है साहब ये तो ट्रेने उड़ा देते है, सी आर पी फ को मार डालती है, वो आदिवासी हम उनके साथ १८ साल रहे है उन्होंने हमको प्यार के सिवाय कुछ भी नहीं दिया, हमारी दोनों बेटियो को गाँव कि महिलाये ही उठा कर ले जाती थी और वो ही उन्हें नहलाती और धुलाती थी, खाना खिलाती थी वो रात में सो जाती थी, हम तो शादी के एक महीने बाद पहुचे थे मेरी पत्नी का बेनिती बॉक्स था उसको खली किया और उसमे दवाइया भरी और घूमते थे गाँव में, दवाइया बाँटते थे और पढ़ाते थे बच्चो को मलेरिया से बच्चे मर रहे थे और दूसरा गाँव में अध्यापक नहीं आता है, १० साल हो गए एक भी बछा ५ पास नहीं कर पाया, राशन कि दुकान पर राशन नहीं मिलता है, इसी तरह हमने लोगो को संगठित करना शुरू किया हमने कहा चलो कलेक्टर के पास पहुचेंगे उनसे क्यों नहीं मिलता है राशन जब ये पूछना चालू किया तो प्रशासन ने नक्सली कहना शुरू कर दिया , वैसे सरकार  कहती है कि आदिवासी लोग विकास होने नहीं देना चाहते है , अगर  आप विकास कि बात करेंगे तो आपको नक्सली कहा जायेंगा तो हमने कहा जो हम करने आये है हम तो वो ही करेंगे तो हम करने लगे, २००४ में सरकार आई तो खनिज के सोदे बाजी हुई, क्या आप जानते है कि जंहा-जंहा आदिवासी है वँही खनिज है, आदिवासिओ कि जमीनों पर कब्ज़ा कर लिया गया और फिर आदिवासी जंगलो में रहने लगा, सरकने एक सोदा किया ४ जून २००५ को टाटा कंपनी के साथ और ५ जून २००५ को सलवा जुडूम नाम का एक अभियान शुरू कर दंतेवारा में गाँवो को खली करवाने का, टाटा कंपनी एक विदेशी कंपनी है  उसके साथ एक समझोता किया गया कि ५ जून से दंतेवारा में गाँव खली करवाने का अभियान छेड़ दिया गया, सरकार ये कहती है कि ये सविधान नाक्स्लातो को नहीं मानती है, तो क्या तुम मानते हो क्या, अगर आप  आदिवासिओ कि जमीन लोगो तो उसका ये प्रावधान है कि सिडुँल एरिया में सरकार ये सूचित करेगी कि ग्राहक को कि ये दिदुअल एरिया में है, कलेक्टर जायेगा एरिया में और जमीन का मुखिया को कहा जाएगी कि कितनी जमीन जाएगी, न कि पुलिस जाएगी, किसको जमीन के बदले में जमीन दी जाएगी क्या बच्चे को नोकरी दी जाएगी क्या....... हमारी  संस्था ने ३५ गाँव बसाये, हमारे जो कार्यकर्त्ता जो गाँव बसा रहे थे उन्हें जेलों में दल दिया गया.

ये गाँव है सिंगारा पुलिस ने दावा किया कि नक्सलो के साथ मुठ भेड़ हुई है उसमे १९ नाक्स्लेड मरे गए है उसमे ४ लडकिया है हिमांशु जी उस गाँव में गए उन्होंने देखा कि और गाँव के लोगो ने कहा कि १९ लोगो कि भीड़ में ये ४ लडकिया पकड़ में आ गई उन लडकियो को चाकू से मारा गया और लडको को लाइन में खड़ा करके बन्दुक से मार दिया गया, एक लड़की कि आत बहार आ रही है ये तभी संभव है जब चाकू मारा जाता है, हमें कोर्ट में ये पूछा कि आप नक्सलियो को गोली मरते हो और नक्सली आपको गोली मरते है तो आपने चाकू कैसे मारा और फिर लडकियो ही कैसे चाकू मारा इसके बाद हमारा १८ साल पुराना आश्रम जो ६० स्कूल चलाता था, एक हजार गाँव में दवाइया बांटता था, १८ साल पुराने आश्रम पर बुलडोजर चला दिया सरकार ने कि तुम इनके लिए इंसाफ क्यों मांग रहे हो, एक अक्टूबर का केस है २ साल के बचे कि ३ उंगलिया काट दी गई है और उस बचे कि माँ को चाकू मार कर मार दिया गया,इसकी मोसी, नाना, नानी और इस बच्चे के गाँव के ९ लोगो को मर दिया गया, हिमांशु जी ने इस घटना कि सीडी चिदाम्बरण को दी और उसके बाद पुलिस आ कर बच्चे को उठा ले गई, अभी भी वह बछा जेल में बंद है मैकेलाल में दम नहीं जो उस बच्चे को छुड़ा ले, चाइल्ड राईट कि अध्यक्षा को कहा कि इस बच्चे को छुड़ा कर लेट है लेकिन नहीं छुड़ा पाए आज भी वह बछा थाने में बंद है, हमने कई बार नक्सलियो से बात कि आपका रास्ता गलत है तो वो कहते है तुम न्याय दिला कर दिखा दो हम मन जायेंगे कि हमारा रास्ता अलग है,  हमने इंसाफ दिलाने कि बात कि तो हमारे कार्यकर्ताओ को जिलो में डाल दिया गया आज भी जिलो में है हमारे कार्यकर्त्ता अपने ही लोकतंत्र ने अपने ही बस्तर में ध्वस्त कर दिया,

हिमांशु जी चिदाम्बंर्म से एव राहुल गाँधी से मिला तो चिदंबरम ने कहा कि हम नाक्सालियो से बात कैसे कर सकते है, तो हिमांशु जी ने कहा कि नक्सलियो से बात मत करो लेकिन आदिवासिओ से तो बात कर सकते हो, राहुल गाँधी ने कहा कि आदिवासी नक्सलियो कि तरफ क्यों जा रहे है तुम पूछो तुम तो बहुत अछे हो तुम अपनी समीक्षा करो और पूछो अपने आप से तो उन्होंने कहा कि आप चिदम्बरम साहब से मिल लीजिये हिमांशु जी ने खः कि मिल लेते है, हिमांशु जी ने कहा कि में आदिवासिओ को इकठ्ठा कर लेता हु आप मिल लीजिये सरदार पटेल गृह मंत्री होते तो अभी तो जाकर आदिवासिओ के बिच जाकर बैठ जाते और पूछते कि बताओ तुम्हारी क्या समस्या है क्यों हिंसा कर रहे हो तो आप भी चलिए में इकट्टा करता हु आदिवासिओ को अब चिदम्बरम जी फस गए क्यों कि चिदम्बरम जी तहलका मैगजीन में कहा था कि सोमा चौधरी ने पूछा  था कि  हिमांशु जी आपको दंतेवारा आदिवासिओ के बिच बुलाएँगे तो क्या आप जाओगे और उन्होंने कहा कि हा क्यों नहीं जरुर जाऊंगा तो हिमांशु जी ने कह दिया तो चिदम्बरम जी फस गए उन्होंने डेट मांगी तो हिमांशु जी ने ७ जनवरी डेट दे दी उन्होंने ७ जनवरी कि डेट लेकन नहीं पहुचे और कहा कि हिमांशु जी ने डेट नहीं दी और हिमांशु जी के पास आज भी भी वो सन्देश मोबाईल में जो चिदम्बरम जी को किया गया था, 

हिमांशु जी ने कहा कि आज का माध्यम वर्ग को मीडिया ने क्रिकेट, फिल्म शोव्स, आदि में उलझा रखा है और वो ये भी कहते है कि जब वो डिस्चार्ज हो जाते है तो वो माध्यम वर्ग के बिच नक़ल पड़ते है, और आज का सिस्टम ऐसा है कि अगर उसके खिलाफ कोई आवाज उठाएगा तो सबसे पहले उसे नाक्स्लैद घोषित कर दिया जायेगा, और हमें अपने गाँवो के विकास कि और ध्यान देना चाहिए 
अगर हमें इस लोकतंत्र को चलाना है तो लोगो  के बिच उतरना पड़ेगा.......

भंवर  लाल कुमावत (पप्पू ) 

शनिवार, 17 जुलाई 2010

Beti ka Jeevan

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