मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

kavi sanjeev mishra ke reet sanyojan

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रविवार, 7 फ़रवरी 2010

प्रेम प्रसंग में धोका (बबीता ने क्यों किया?)

बबीता सिंह चौधरी पत्नी श्री भारत सिंह बैरवा, जो एक दुसरे को पिछले साल से जानते है, बबीता मुलह अलीगढ़ (यू पी) की रहने वाली है, पिछले २२ सालो से ११५, झालानियो का रास्ता, किशनपोल बाजार, जयपुर में अपने परिवार के साथ किराये पर रह रही थी, बबीता के पति पिछले साल से मेरे ही माकन में किशनपोल में किराये पर रहते थे, ये मुहलत करोली जिले के रहने वाले है| इन दोनों में प्रेम प्रसंग पिछले साल से चल रहा था जिसका बबीता के पिता को जून, २००९ को बबीता के मोबाईल के पकडे जाने पट लगा| उस समय बबीता अपनी मम्मी के साथ बबीता के ननिहा अलीगढ जा रही थी| मोबाईल की घटना के कारण बबीता के घरवालो ने बबीता को महीने ननिहाल में ही रखा और वही पर बबीता की शादी के लिए लड़का देखने लग गए| उसी दोरान बबीता के घरवालो ने दबाव बनाया की "तु तेरे पति भारत सिंह को भूल जा और बबीता के घरवालो ने यह भी कहा की अगर तु नहीं उस लड़के बारे में भूली तो हम उसे मरवा देंगे|" ऐसी धमकियो से दर कर बबीता घर वालो से मेरे पति से दूर रहने की तथा दुबारा नहीं मिलने का वादा किया, तब जा कर लगभग - अगस्त २००९ को बबीता की मम्मी जयपुर लाई|

इसके बाद मेरा प्रवेश (बी. तृतिया वर्ष में) करवाया| इसके बाद बबीता का कॉलेज जाना शुरू हो गया मगर बबीता अपने पति को नहीं भूल पाई और बबीता दुबारा अपने पति से पहले की तरह मिलने लगी और फ़ोन पर बात करने लगी इसके साथ साथ उधर बबीता घरवाले बबीता के लिए लड़का देखने लग गए| बबीता को लगा की शादी अक्टुम्बर, नवम्बर २००९ जब तक ररुर किसी और लड़के से शादी कर देंगे जो बबीता नहीं चाहती थी| हालाँकि बबीता घर वालो से मेरे पति से शादी करने का प्रस्ताव रखा, मगर उन्होंने कहा की वो हमारी जाती का नहीं है| इस लिए हम तेरी शादी उससे नहीं कर सकते| उन्होंने बबीता को शादी से बिलकुल मन कर दिया| इसके बाद बबीता दर गई की कंही वो लोग मेरी शादी किसी और से कर दे तो बबीता और भारत ने १८ सितम्बर २००९ को विद्याधर नगर, आर्य समाज में शादी कर ली तथा २९ अक्टूबर २००९ बबीता शादी के फोटोग्राफ तथा शादी के पजियन की फोटो कॉपी और लिखित स्टाम्प घर पर तथा नजदीकी कोतवाली थाना छोटी चोपड, जयपुर में पोस्ट कर दिए तथा बबीता के पति के साथ अपने उचित स्थान (बल्लभगढ़) चली गई|

इसके बाद बबीता के पिताजी ने बबीता के पति के खिलाफ बबीता को भगा ले जाने की प्राथमिकी कोतवाली थाना छोटी चोपड जयपुर में करा दी थी| इन दोनों का केस एस एच विनोद कुमार के अन्डर में था उन्होंने इन दोनों की छानबीन बबीता के ससुराल भोलुपुरा (करोली) में करवाई जंहा बबीता के देवर विक्रम को उठाकर वंहा के नजदीकी थाना कुड गाँव (करोली) में ले गये उन्होंने बबीता और भारत को सूचित किया| इसके बाद १५ जनवरी २०१० को बबीता के पिता ने बबीता के ससुराल जाकर वंहा के आसपास के गाँव के चौधरी जाती के लोगो को इकठा कर लिया और पंचायत बैठा दी जिसमे पंचायत ने फेसला लिया की यदि बबीता के ससुरालवाले बबीता और उसके पति भारत को दिन में उनके हवाले नहीं करते है तो वो (पंचायत के लोग) बबीता की ननदों को उठाकर ले जायेंगे| इसके उपरांत वे लोग बबीता के ससुर के बड़े भाई को लेकर बल्लभगढ़ लेकर आये| बबीता और भारत ko उनकी पूर्व सूचना लग गई थी| इसलिए बबीता और भारत डर के मरे वंहा से भागकर गुडगाँव गये और इनका सारा सामान वल्लभगढ़ रह गया| इसके बाद हम उनको दिन तक नहीं मिले| उन्होंने फिर पंचायत की और दिन की जगह दिन में ढूंढ़कर कर लेन को कहा| बबीता और भारत दिन में नहीं मिले तो उन्होंने पंचायत में बाहर के लोग बुलाये| जिसमे कुछ लोग जयपुर के, अलीगढ के तथा आगरा के जाट भी शामिल थे| अबकी बार पंचायत १२ गाँवो से ज्यादा की थी| जिसमे पंचायत में लिखित फरमान जारी किया गया| फरमान में लिखा गया की यदि बबीता के ससुराल के लोग बबीता और उसके पति भारत को किसी भी हालत में २० फरवरी तक पंचायत के हवाले नहीं करते है तो पंचायत के लोग बबीता की सास और उसकी अन्य देवरानियो, जेठानियो तथा मेरी ननदों को हर हालात में उठाकर ले जायेंगे|

बबीता ने २४ जनवरी २०१० को शाम को बबीता के पिताजी को फ़ोन किया जिसमे उन्होंने बताया की यदि तुम राजी खुसी वापस नहीं आती हो तो हम उनका बुरा हल कर देंगे तथा यह भी कहा की तु उनकी जन बचाना चाहती हा तो जल्दी घर वापस जा| बबीता ने डर के मरे उनसे घर वापस आने को भी कहा मगर कोई भी बबीता और भारत की नहीं सुनता है| बबीत और भारत का कहना था की हम दोनों चैन से जीना चाहते है| बबीता अपने पति से बहुत प्यार करती है, किसी भी हालात में उससे अलग नहीं रह सकती तथा बबीता का कहना था की मेरे ससुराल वालो को मरने पर तुले हुए है हम लोगो ने कोनसा अपराध किया है शादी ही तो की है, बबीता के घर वाले बोलते है की लड़का हमारी जाती चोधरी का होता तो हम शादी करवा देते| मगर वह बबीता की जाती का नहीं है तो इसमे उसका क्या कसूर और बबीता अपनी माँ- बाप का यह पूछना चाहती है की मानलो लड़का हमारी जाती का होता तथा कोई गोत्र वगेरह अड़ रहा होता तो क्या जब वे लोग मन जाते| तब समाज के लोग मन जाते क्या|

इसी दोरान बबीता और भारत महिला सलाह सुरक्षा केंद्र जयपुर पहुचे तो वंहा बबीता का कहना था की वो पहले के बार अपने पिताजी से मिलाना चाहेगी तो महिला सलाह सुरक्षा केंद्र से फ़ोन किया गया बबीता के पिता को की वो दुसरे दिन महिला सलाह सुरक्षा केंद्र पहुचे और बबीता को कान्हा गया की तुम अपनी पढाई पर ध्यान दो और कल कॉलेज जा कर अपनी पढाई का पता लगाओ और दुसरे दिन बबीता का पति भारत सिंग बबीता को महारानी कॉलेज लेकर जाता है लेकिन वंहा से केवल भारत ही लोटता है बबीता कॉलेज से भाग कर अपने पिताजी से मिलने चली जाती है और फिर खाहती है की मुझे भारत के साथ नहीं रहना| भारत के दिल को बहुत बुरा धक्का लगा की जिसने अपनी जन हथेली पर लेकर जिस बबीता के लिए इतना कुछ किया उसने आखिर में भारत को इतना बड़ा सदमा, धक्का दिया| जिससे बिचारा आज गली गली भटकता फिर रहा है और जाट समुदाय के लोगो से बचाता भाग रहा है|

एक वाल्मीकि समाज की सरपंच की विजय


गीता देवी वाल्मीकि पतनी श्री गोपाल वाल्मीकि, उम्र ४० वर्ष, शिक्षा अनपढ़, गाँव चित्तोडा, तहसील फागी, जिला जयपुर के रहने वाली इस गीता देवी ने गाँव चित्तोडा में पुरे जाट समुदाय के लोगो के बिच सरपंच पद के लिए विजय हासिल की| गीता देवी वाल्मीकि समाज की पहली औरत सरपंच है चित्तोडा ग्राम पंचायत में, और ये एक मिटटी के कच्चे घर में रहती है जिसमे एक कमरा है| चित्तोडा गाँव में गीता देवी के सामने ६ अन्य लोग और सरपंच चुनाव के लिए खड़े थे, जिनमे २ बेरवा, ४ बलाई थे| गीता देवी वाल्मीकि समाज से तालुकात रखते हुए सभी लोगो ने गीता देवी को समर्थन दिया और गीता देवी देवी ने चित्तोडा ग्राम पंचायत से ३६८ वोटो से जीत हासिल की और कुल वोट १२६८ मिले | गीता देवी का चुनाव चिन्ह बेट बल्ला था| गीता देवी जाट समुदाय के कहने पर कड़ी हुई थी और गीता देवी ने सभी के घर जा कर हाथ जोड़ कर यही कहा की जैसे आप लोग मुझे रोजाना झाड़ू, नाली साफ करने के बाद रोटी देते हो या अनाज देते हो वैसे ही हर एक चूल्हे से १ वोट दे देना|

चित्तोडा ग्राम पंचायत में करीब ५०००-८००० लोगो की आबादी है| इस गाँव के लोग सभी अपना जीवन मजदूरी पर व्यतीत कर रहे है| चित्तोडा ग्राम पंचायत में गीता देवी और उसके पति गोपाल वाल्मीकि ने मिल कर दोनों एक साथ मोटर साईकिल पर प्रचार-प्रसार किया और आखिरी दिन इन्होने ४ जीप लगाई और जो लोग दूर रहते थे उन्हें बस किराया दिया| इस तरह गीता देवी का कुल खर्चा आया करीब ३५००० रुपये| गीता देवी का कहना था की वो पैसा उसने १-१ पाई करके जोड़ा था|

गीता देवी का कहना है की वो अपना कम ईमानदारी और सच्चाई के साथ करेगी चाहे उसके पास एक रूपया क्यों न बचे और ये भी कहना था की वो चित्तोडा ग्राम पंचायत में आने वाले गाँव जैसे चंदस, मानपुर, बॉस, प्रतापपुरा, जय नगर इन सब गाँवो में वो सामान काम करवाएगी जैसे नाली, हैण्ड पम्प, सड़क निर्माण जैसे कम करवाएगी ताकि उसे सरपंच होने का मोका दुबारा मिले और लोगो का विश्वास जीत सके|

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

देहली नॉएडा का सफ़र

उफ़ दिल्ली का शोर शराबा मासा अल्ला कितना प्रदूषण, और नॉएडा का जनजीवन तो अलग ही प्रकार है| नॉएडा के लोग अपने आप में ही जीते है | सेक्टर के फ्लेटो में उन लोगो को किसी से कुछ भी समस्या नहीं रहती, वो अपने आप में ही मस्त रहते है | नॉएडा में सेक्टर ८२ में सब्जीया बड़ी सस्ती है, लेकिन आना जाना बड़ा ही महंगा है | सेक्टर ८२ में ठेले पर परांठे बहुत ही सस्ते है, आलू के २ परांठे १० रूपये में, और इतने स्वादिस्ट है की अपने शब्दों में बाया नहीं कर सकता| नॉएडा सेक्टर ८२ में ग्रीन वीयू में घरेलु औरते दोपहर के बाद अपने बच्चो के साथ अपने फ्लैट से निचे उतर कर रेकिट खेलने का एक अलग ही अंदाज और जोश है वंहा की औरतो में और सन्डे को २० से ३५ साल के उम्र के आदमी लोग लोन में क्रिकेट मेच खेल कर भरपूर आनंद उठाते है| नॉएडा सेक्टर ८२ के पास एक गाँव है भंगेल उस गाँव में गन्ने का रस बड़ा ही शानदार है सिर्फ एक बड़ा गिलाश ५ रुपये | भंगेल गाँव का बर्गर भी बड़ा ही स्वादिस्ट लगा और वो भी ५ रुपये का इतना बड़ा| नॉएडा सेक्टर ८२ में वंहा के अपार्टमेन्ट के चोकीदार बहुत ही चालाक और चतुर होते है जैसे ही हमने फ्लैट में शिफ्ट किया तो दुसरे दिन एक चोकीदार आँख मलता हुआ आया और बोला की थोडा सा एक पुडिया में थोड़ी से चाय व् थोड़ी सी चीनी दे दो | वंहा के चोकीदार थोडा थोडा करके ही बेवकूफ बनाने में लगे रहते है और उन्हें बात बात के लिए पैसा चाहिए | अब नए साल का पूरा महिना बीतने को आया और उस चोकीदार को इनाम भी चाहिए और वो भी छोटा मोटा नहीं बड़ा और वो भी रुपयों में |