रविवार, 7 फ़रवरी 2010

प्रेम प्रसंग में धोका (बबीता ने क्यों किया?)

बबीता सिंह चौधरी पत्नी श्री भारत सिंह बैरवा, जो एक दुसरे को पिछले साल से जानते है, बबीता मुलह अलीगढ़ (यू पी) की रहने वाली है, पिछले २२ सालो से ११५, झालानियो का रास्ता, किशनपोल बाजार, जयपुर में अपने परिवार के साथ किराये पर रह रही थी, बबीता के पति पिछले साल से मेरे ही माकन में किशनपोल में किराये पर रहते थे, ये मुहलत करोली जिले के रहने वाले है| इन दोनों में प्रेम प्रसंग पिछले साल से चल रहा था जिसका बबीता के पिता को जून, २००९ को बबीता के मोबाईल के पकडे जाने पट लगा| उस समय बबीता अपनी मम्मी के साथ बबीता के ननिहा अलीगढ जा रही थी| मोबाईल की घटना के कारण बबीता के घरवालो ने बबीता को महीने ननिहाल में ही रखा और वही पर बबीता की शादी के लिए लड़का देखने लग गए| उसी दोरान बबीता के घरवालो ने दबाव बनाया की "तु तेरे पति भारत सिंह को भूल जा और बबीता के घरवालो ने यह भी कहा की अगर तु नहीं उस लड़के बारे में भूली तो हम उसे मरवा देंगे|" ऐसी धमकियो से दर कर बबीता घर वालो से मेरे पति से दूर रहने की तथा दुबारा नहीं मिलने का वादा किया, तब जा कर लगभग - अगस्त २००९ को बबीता की मम्मी जयपुर लाई|

इसके बाद मेरा प्रवेश (बी. तृतिया वर्ष में) करवाया| इसके बाद बबीता का कॉलेज जाना शुरू हो गया मगर बबीता अपने पति को नहीं भूल पाई और बबीता दुबारा अपने पति से पहले की तरह मिलने लगी और फ़ोन पर बात करने लगी इसके साथ साथ उधर बबीता घरवाले बबीता के लिए लड़का देखने लग गए| बबीता को लगा की शादी अक्टुम्बर, नवम्बर २००९ जब तक ररुर किसी और लड़के से शादी कर देंगे जो बबीता नहीं चाहती थी| हालाँकि बबीता घर वालो से मेरे पति से शादी करने का प्रस्ताव रखा, मगर उन्होंने कहा की वो हमारी जाती का नहीं है| इस लिए हम तेरी शादी उससे नहीं कर सकते| उन्होंने बबीता को शादी से बिलकुल मन कर दिया| इसके बाद बबीता दर गई की कंही वो लोग मेरी शादी किसी और से कर दे तो बबीता और भारत ने १८ सितम्बर २००९ को विद्याधर नगर, आर्य समाज में शादी कर ली तथा २९ अक्टूबर २००९ बबीता शादी के फोटोग्राफ तथा शादी के पजियन की फोटो कॉपी और लिखित स्टाम्प घर पर तथा नजदीकी कोतवाली थाना छोटी चोपड, जयपुर में पोस्ट कर दिए तथा बबीता के पति के साथ अपने उचित स्थान (बल्लभगढ़) चली गई|

इसके बाद बबीता के पिताजी ने बबीता के पति के खिलाफ बबीता को भगा ले जाने की प्राथमिकी कोतवाली थाना छोटी चोपड जयपुर में करा दी थी| इन दोनों का केस एस एच विनोद कुमार के अन्डर में था उन्होंने इन दोनों की छानबीन बबीता के ससुराल भोलुपुरा (करोली) में करवाई जंहा बबीता के देवर विक्रम को उठाकर वंहा के नजदीकी थाना कुड गाँव (करोली) में ले गये उन्होंने बबीता और भारत को सूचित किया| इसके बाद १५ जनवरी २०१० को बबीता के पिता ने बबीता के ससुराल जाकर वंहा के आसपास के गाँव के चौधरी जाती के लोगो को इकठा कर लिया और पंचायत बैठा दी जिसमे पंचायत ने फेसला लिया की यदि बबीता के ससुरालवाले बबीता और उसके पति भारत को दिन में उनके हवाले नहीं करते है तो वो (पंचायत के लोग) बबीता की ननदों को उठाकर ले जायेंगे| इसके उपरांत वे लोग बबीता के ससुर के बड़े भाई को लेकर बल्लभगढ़ लेकर आये| बबीता और भारत ko उनकी पूर्व सूचना लग गई थी| इसलिए बबीता और भारत डर के मरे वंहा से भागकर गुडगाँव गये और इनका सारा सामान वल्लभगढ़ रह गया| इसके बाद हम उनको दिन तक नहीं मिले| उन्होंने फिर पंचायत की और दिन की जगह दिन में ढूंढ़कर कर लेन को कहा| बबीता और भारत दिन में नहीं मिले तो उन्होंने पंचायत में बाहर के लोग बुलाये| जिसमे कुछ लोग जयपुर के, अलीगढ के तथा आगरा के जाट भी शामिल थे| अबकी बार पंचायत १२ गाँवो से ज्यादा की थी| जिसमे पंचायत में लिखित फरमान जारी किया गया| फरमान में लिखा गया की यदि बबीता के ससुराल के लोग बबीता और उसके पति भारत को किसी भी हालत में २० फरवरी तक पंचायत के हवाले नहीं करते है तो पंचायत के लोग बबीता की सास और उसकी अन्य देवरानियो, जेठानियो तथा मेरी ननदों को हर हालात में उठाकर ले जायेंगे|

बबीता ने २४ जनवरी २०१० को शाम को बबीता के पिताजी को फ़ोन किया जिसमे उन्होंने बताया की यदि तुम राजी खुसी वापस नहीं आती हो तो हम उनका बुरा हल कर देंगे तथा यह भी कहा की तु उनकी जन बचाना चाहती हा तो जल्दी घर वापस जा| बबीता ने डर के मरे उनसे घर वापस आने को भी कहा मगर कोई भी बबीता और भारत की नहीं सुनता है| बबीत और भारत का कहना था की हम दोनों चैन से जीना चाहते है| बबीता अपने पति से बहुत प्यार करती है, किसी भी हालात में उससे अलग नहीं रह सकती तथा बबीता का कहना था की मेरे ससुराल वालो को मरने पर तुले हुए है हम लोगो ने कोनसा अपराध किया है शादी ही तो की है, बबीता के घर वाले बोलते है की लड़का हमारी जाती चोधरी का होता तो हम शादी करवा देते| मगर वह बबीता की जाती का नहीं है तो इसमे उसका क्या कसूर और बबीता अपनी माँ- बाप का यह पूछना चाहती है की मानलो लड़का हमारी जाती का होता तथा कोई गोत्र वगेरह अड़ रहा होता तो क्या जब वे लोग मन जाते| तब समाज के लोग मन जाते क्या|

इसी दोरान बबीता और भारत महिला सलाह सुरक्षा केंद्र जयपुर पहुचे तो वंहा बबीता का कहना था की वो पहले के बार अपने पिताजी से मिलाना चाहेगी तो महिला सलाह सुरक्षा केंद्र से फ़ोन किया गया बबीता के पिता को की वो दुसरे दिन महिला सलाह सुरक्षा केंद्र पहुचे और बबीता को कान्हा गया की तुम अपनी पढाई पर ध्यान दो और कल कॉलेज जा कर अपनी पढाई का पता लगाओ और दुसरे दिन बबीता का पति भारत सिंग बबीता को महारानी कॉलेज लेकर जाता है लेकिन वंहा से केवल भारत ही लोटता है बबीता कॉलेज से भाग कर अपने पिताजी से मिलने चली जाती है और फिर खाहती है की मुझे भारत के साथ नहीं रहना| भारत के दिल को बहुत बुरा धक्का लगा की जिसने अपनी जन हथेली पर लेकर जिस बबीता के लिए इतना कुछ किया उसने आखिर में भारत को इतना बड़ा सदमा, धक्का दिया| जिससे बिचारा आज गली गली भटकता फिर रहा है और जाट समुदाय के लोगो से बचाता भाग रहा है|

3 टिप्‍पणियां:

SANSKRITJAGAT ने कहा…

सुन्‍दर प्रस्‍तुति के लिये धन्‍यवाद


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धन्‍यवाद

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

blog jagat me aapka swagat hai .hamaari shubh kamnaayen
poonam

Harish Jharia ने कहा…

आपके नये ब्लाग के साथ आपका स्वागत है। अन्य ब्लागों पर भी जाया करिए। मेरे ब्लाग "डिस्कवर लाईफ़" जिसमें हिन्दी और अंग्रेज़ी दौनों भाषाओं मे रच्नाएं पोस्ट करता हूँ… आपको आमत्रित करता हूँ। बताएँ कैसा लगा। धन्यवाद...