शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

अखिल भारतीय "किसान स्वराज यात्रा" का जयपुर मै आगमन

"किसान स्वराज यात्रा" 
9 दिसम्बर को "किसान स्वराज यात्रा" का विनोबा ज्ञान मंदिर जयपुर  मे भव्य स्वागत किया गया | किसान स्वराज यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि व् खाद्य मे स्वराज है व् तीन मांगे लेकर चल रही है - (1) किसान को सरकार द्वारा आय मे सहयोग (2) खेती इस रूप की हो जिससे पर्यावरण का नाश न हो - जैविक खेती की दिशा ले (3) किसान  का  नियंत्रण पानी, जमीन, वन एव बीज इत्यादि सभी संसाधनों पर हो न की कम्पनियो के, यह मांगे आज जयपुर मे आयोजित नागरिक संवाद मे 70  दिन से चल रही "किसान स्वराज यात्रा"  का नेतृत्व कर रही कविता कुरुघंटी ने रखी |

2 अक्टूबर को साबरमती से शुरू हुई "किसान स्वराज यात्रा" गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, छतीसगढ़, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान व् हरियाणा होते हुए 11 दिसम्बर 2010 को दिल्ली पहुचेगी | राजस्थान मे यात्रा गंगानगर, हनुमागढ़, बीकानेर, नागोर, जोधपुर, अजमेर, झुंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर होते हुए हरियाणा निकली | 70 दिनों की इस यात्रा के दरमयान एक लाख लोगो से संवाद स्थापित किया गया, 250 से अधिक लोग जो लगातार यात्रा मे चले | 

कविता कुरुघंटी 
यात्रा का मार्गदर्शन कर रही कविता कुरुघंटी का कहना था की राजस्थान मे खेती जबरदस्त रूप से खतरे मे है | जंहा भी वो गई  या तो जमीन से विस्थापन के मुद्दे लोग उठा रहे हिया या फिर सरकार का मौनसेंटो के साथ हल मे हुआ करार जंहा पूरी खेती का नियंत्रण किसान कम्पनियो के हाथ खो देगा | खास रूप से मोनसेंटो के साथ Sun Rays Project मक्के को लेकर जो करार आदिवासिओ के 5 जिलो मे किया गया है, उससे आदिवासिओ द्वारा बचाई गई जैविक खेती अब सर्वनाश होगी| उन्होंने नारा दिया "मोनसेंटो भारत छोडो, राजस्थान सरकार मोनसेंटो को छोडो व् खेती हमारी हक़ आपके नहीं चलेगा"| 

संवाद के मुख्य अतिथि प्रो. विजय शंकर व्यास जो कृषि अर्थशास्त्री है एव वर्तमान मे राज्य आयोजन मंडल के उपाध्यक्ष है एव प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य है ने कहा की बीज के स्तर पर कम्पनियो का दखल खतरनाक है, जो की विश्व का अनुभव है | बीज तो सरकार द्वारा बीज खेत तैयार होने चाहिए जंहा से किसान को बीज उपलब्ध करवाया जाय | उन्होंने यह भी कहा की खेती जैविक हो या दूसरी हो किसान को सही मूल्य एव उत्पादकता नहीं होगी तब तक किसान उस खेती के रस्ते को नहीं अपनायेगा | उन्होंने यह भी ऐलान किया अब जब राज्य का 12 वी पंचवर्षीय योजना बने जा रही है तो उसमे इस मुद्दे पर वे जरुर संवाद रखेंगे जिससे सिफारिशे सरकार तक पहुंचाई जा सके |

बैठक मे विशिष्ठ अतिथि विकास अध्यन संसथान के प्रो. सुरजीत सिंह ने कहा की राजस्थान मे खेती की बात पानी से शुरू होती है और अगर पानी की उपलब्धता पर खेती नहीं आधारित होगी एव पानी का ओद्योगिक इस्तेमाल पर नीति नहीं बनेगी तो कृषि राजस्थान मे और भी पिछ्ड़ेगी | उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा की राजस्थान को पंजाब से सीख लेनी चाहिए जंहा ज्यादा केमिकल खाद के इस्तेमाल के कारण पंजाब आज केंसर प्रदन प्रदेश बन गया | 

संवाद मे अशोक गहलोत सरकार के नाम ज्ञापन जिसमे मोनसेंटो के साथ करार को रद्द करने ओ लेकर एव कृषि भूमि से लोगो का विस्थापन रोकने की मांग को लेकर पढ़ा गया | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू) 

sasas

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