गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

डॉ. बिनायक सेन की तत्काल रिहाई को लेकर जयपुर के जन संगठनो का धरना प्रदर्शन संपन्न हुआ


Dr. Binayak Sen

आज दिनाक 30.12.2010 को राजस्थान के 150 से भी अधिक प्रबुद्ध नागरिक एव जन संगठन कार्यकर्ताओ ने "डॉ. बिनायक सेन" की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर जयपुर के अल्बर्ट हॉल मुज्यिम के सामने प्रदर्शन किया |

सभी ने इस फेसले की निंदा करते हुए इसे राजनीती से प्रेरित मना | वक्ताओ का यह भी कहना था की देशद्रोह की धारा मे आजीवन कारावास का दण्ड देना अपने मे राज्य द्वारा इस फेसले के जरिए न्यायपालिका को साजिशपूर्ण रूप से इस्तेमाल करने का मिसाल है | सभी वक्ताओ का यह भी मानना था कि डॉ. बिनायक सेन के फेसले से एक सन्देश देशभर मे मानवाधिकार एव जन संगठन कार्यकर्ताओ को दिया जा रहा है कि वे सरकार कि नीतियों कि आलोचना नहीं करे यह एक चूप करने कि रणनीति बतोर फेसला है |

जयपुर प्रदर्शन मे आए संगठनो ने प्रस्ताव लिया कि हर जिले के मुख्यालय पर प्रदर्शन कर डॉ. बिनायक सेन कि रिहाई कि मांग करनी चाहिए | यह भी घोषणा कि की 30 जनवरी 2011 शहीद दिवस को "जेल भरो" आन्दोलन राज्य मे किया जायेगा | भारतीय दण्ड सहिता की राजद्रोह धारा (124 A) के विरुद्ध वकीलों न्यायविदो एव कार्यकर्ताओ की समिति बना कर एक अभियान शुरू किया जायेगा | इसे भारतीय दण्ड सहिता से हटाने की मांग की जायेगी | ज्ञात हो की महात्मा गाँधी को इन धाराओ के तहत 3 साल एव तिलक को 8 साल की सजा सुने गई थी एव गाँधी का यह भी मानना था की इस धारा को आज़ाद भारत मे कोई स्थान नहीं है |

क्यों कि डॉ. बिनायक सेन का जन्म दिन 04 जनवरी को है जब वो 61 वर्ष के हो जायेंगे, तो सभी साथियो ने नववर्ष एव जन्मदिन शुभकामनाओ के सन्देश एक बेनर पर हस्ताक्षर कर दर्ज किए | यह बेनर रायपुर सेन्ट्रल जेल भेजा जायेगा | 04 जनवरी को मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों, गिरिजा घरो मे उनकी लम्बी जीवन के लिए दुआ दी जायगी | 

ज्ञात हो कि डॉ. बिनायक सेन मानवाधिकार संगठन पी.यू.सी.एल. के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष है | उन पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2007 मे माओवादियो के साथ लिप्त होने के आरोपों पर गिरफ्तार कर केस चलाया | रायपुर कि एक निचली अदालत ने दिसम्बर को राजद्रोह एव छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम एव यू.ए.पी.ए. के तहत दोषी करार कर आजीवन कारावास दण्ड दिया |

डॉ. बिनायक सेन 35 साल से आदिवासियो के बीच स्वास्थ्य का काम कर रहे थे | उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार कि "सलवा जुडूम" निति को 2005 मे खुल कर विरोध किया और उन पर यह आरोप गढ़ चूप किया गया| 

धरने मे निम्न वक्ताओ ने अपनी बात रखी : प्रेम किशन शर्मा (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान), डॉ. नरेन्द्र गुप्ता (जन स्वास्थ्य अभियान, प्रयास), दुष्यंत ओझा (भारतीय कमुनिस्ट पार्टी), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), महेंद्र   चोधरी एव श्रीलता   (भा.क.पा. माले), हितेंद्र उपाध्याय (संभव), शिव सिंह (अल्लारिपू), सलीम साहब (जमाते-ए-स्लामी हिंद), पी.एल. मिमरोठ (दलित अधिकार केंद्र), सवाई सिंह (राजस्थान समग्र सेवा संघ), निशात हुसैन (नेशनल मुस्लिम वुमेन्स वेलफेयर सोसायटी), मेवा भारती (घरेलु महिला कामगार यूनियन), कैलाश चन्द  कुम्भकर (सामाजिक विधि अध्ययन अकादमी), कोमल श्रीवास्तव (भारत ज्ञान विज्ञान समिति), राशिद (हुमन डेवेलपमेंट सोसायटी),  प्रो. हसन (ईरादा), राजाराम भादू (समान्तर), हरकेश बुगालिया (राजस्थान निर्माण मजदूर संगठन), विजय गोयल (आर. आई.एस.आर.), राखी (सी फार), अलोक व्यास (सिकोडिकोंन), प्रकाश चतुर्वेदी | 


भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

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