शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

"अमन की आशा" का मिशन लेकर निकले मोहम्मद अल्ताफ बट्ट चिश्ती

अल्ताफ 
अल्ताफ 18 वर्ष की उम्र में जब कशिमिर में भारत विरोधी आन्दोलन चरम पर था तब नादानी में अल्ताफ ने अल-उमर मुजाहिद्दीन,  एक हथियार बंद संगठन के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जंगजू बनने 3 माह का हथियार चलाने के प्रशिशन के लिए चला गया | 3 माह बाद में वापिस कश्मीर लौट आया |  अल्ताफ सरहद पर ही इस बात का निश्चय किया कि मै जंगजू नहीं बनूँगा | क्यों कि इस वक्त वापस आने पर अल्ताफ ने जो हालत देखे वो कोई धर्म, मजहब उसकी इजाजत नहीं देते है | क्यों कि पेगेम्बर मोहम्मद उन्होंने इस बात से सख्त मना किया था कि कभी भी लड़ाई के दौरान बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओ को शामिल नहीं करना चाहिए, मगर कश्मीर मे अधिकतर जाने एव नुकसान महिलाओ, बुजुर्गो और बच्चो का हुआ | यह देख कर अल्ताफ इस काम मे हिस्सा लेना इंसानियत, धर्म और कानून के खिलाफ समझा|

फिर दो वर्ष तक अल्ताफ स्वतंत्र पत्रकार का कार्य करता रहा | इस दौरान मेरी अनेको खबरे कश्मीर के उर्दू व् अंग्रेजी अखबारों मे छपी जैसे आफ़ताब, रोशनी, आफाक, ग्रेटर कश्मीर, कश्मीर टाइम्स, आदि | वैसे अल्ताफ एक लेखक, आयुर्वेद डॉक्टर, एक्यूप्रेशर हीलर, डिजाइनर, फोटोग्राफर भी है |

2 वर्ष के पश्चात् रास्ते पर चलते हुए अपने काम की और जा रहा था तो बी.एस.एफ. ने मु-हजये गिरफ्तार किया | मु-हजये दो वर्ष की जेल हुई | सिर्फ इसलिए नादानी मे अल्ताफ ने हथियार बंद प्रशिशन लेने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) चला गया था | श्री नगर सेन्ट्रल जेल मे मु-हजये रखा गया | वंहा से छूटने के बाद मु-हजये दो-उचयचार बार बिना किसी करू के बी.एस.एफ.व् सी.आर.पी.एफ. के नोजवानो ने मेरे हाथ पांव तोड़ दिए | अल्ताफ का कहना था की या कहानी उसकी नहीं बल्कि सरे कश्मीरियो की है | जिसके कारण अनेक नोजवान कश्मीर छोड़ कर देश-उचयविदेश के अन्य शहरो मे मजबूरन फनाह ले रहे है  व् परिवारों से अलग रहना पद रहा है | लेकिन इन शहरो मे भी वे भय मुक्त नहीं है | वंहा भी स्थानीय पुलिस भी शक के घेरे मे रखती है | अल्ताफ का कहना था की उसने कानून को कभी नहीं तोडा | 

इस अमन यात्रा की शुरुआत की ताकि अल्ताफ ही नही बल्कि अल्ताफ जैसे तमाम लोगो को इंसाफ दिलाएगा | जिनके साथ ना इन्साफिया होती रही | उनको इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश करेगा | निकला तो मे अकेला था इस सफ़र मे लेकिन आज कारवां के रूप मे हिन्दुस्तान की अधिक आवाम मेरे पीछे कड़ी है और मेरा इस मिशन मे पूरा सहयोग कर रही है | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

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