विनोद और किरण का प्रेम संघर्ष सफल
जैसा कि सभी लोग जानते है अंतर्जातिए विवाह करना कोई अपराध नहीं है | आज कि नोजवान पीढ़ी प्रेम विवाह पर विश्वास कर रही है और तीव्रता से लोग प्रेम विवाह कर अपने जीवन को सुखमई बनाना चाहती है|
आज का यूथ प्रेम तो कर लेता है लेकिन हमारे जाति को ऊँच-नीच पर टिके समाज में प्रेम विवाह किसी बड़े वो अपने सपनो में भी नहीं सोच पता है कि उसे हमारे मामले में समाज में अपराध से काम नहीं किन किन परस्थितियो का सामना करना पड़ रहा है | ऐसे कई मामले में पी.यू.सी.एल. राजस्थान के सामने आये है और इन्हें अपार मुसीबतों का सामना करना पड़ा है | भिन्न-भिन्न जातियो के लोगो ने प्रेम विवाह किया है | जैसा कि पी.यू.सी.एल. ने विनोद सैनी और किरण बेनीवाल कि अंतर्जातीऐ विवाह कराया|
Vinod Sani & Kiran Beniwal |
Kiran Beniwal & Sweet Child Purvansh |
एक दिन अचानक किरण के भाई का फ़ोन आता है कि उसने प्रोपर्टी का काम चालू किया है और वह चाहता है कि विनोद उसका फ्लैट देखने उसके साथ चले मालविया नगर | पर किरण का दिमाग को दाल में कुछ काला लगा की एक दम से कैसे ये प्यार उमड़ आया | इनके प्रति तभी किरण बोली कि वो भी विनोद के साथ जाएगी | इनके साथ फिर एक दिन तय करके वो फ्लैट देखने मालवीय नगर गए | जैसे ही वो फ्लैट में अन्दर घुसे तो किरण के भाई ने दरवाजा बंद करके दोनों को सरिये व् पाइप से मारने शुरू कर दिया | उसी पाइप कि छोटो से विनोद और किरण के सर फोड़ डाले उसने दोनों के सर में २४ टांके आये| फिर किरण ने अपने भाई पर केस दर्ज करवाया और उसे पाबंद करने का प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया | पुलिस उसके भाई को ढुंढने लगी किरण का भाई रवि बेनीवाल तब भी लगातार फ़ोन पर धमकिया दे रहा था कि वह उन दोनों को जान से मार देगा || फिर किरण के घरवाले विनोद के घरवालो को सताने लगे और कहने लगे या तो हमें लड़की लौटा दे नहीं हम उसे जिन्दा दफना देंगे | काफी समय तक केस चलता रहा | एक दिन किरण का भाई गिरफ्तार कर लिया गया पर कुछ समय में वो जमानत पर छूट गया | फिर कुछ समय बाद कोर्ट से किरण के फेवर में अच्छा आर्डर आया | उसके बाद से उसके घरवालो ने उसे परेशान करना बंद किया| फिर पी.यू.सी.एल. राजस्थान कि महासचिव कविता श्रीवास्तव ने जाट समुदाय और माली समुदाय के लोगो को बुला कर किरण और विनोद के लिए एक अच्छा सा रिसेप्सन का कार्यक्रम करवाया | जिसमे जयपुर के अनेक लोगो ने भाग लिया और किरण कि बहादुरी कि दात दी| फिर किरण को उरमूल ट्रस्ट में काम करने के लिए बीकानेर जाना पड़ा और विनोद ने अपना इंजीनियरिंग पूरी कि | अब वह प्राइवेट कंपनी में अछि तन्ख्वा पर काम कर रहा है | किरण ने फिलहाल भी अपने बच्चे के लिए उरमूल ट्रस्ट छोड़ दिया है | विनोद और किरण का एक छोड़ा सा प्यारा सा २ साल का बच्चा है और वो हसी खुसी जीवन जी रहे है | उन्होंने कभी जीवन में ये नहीं सोचा होगा कि उनका प्रेम इस मोड़ से होते हुए गुजरेगा | किरण हमेशा टिकी रही कभी घबराई नहीं और नहीं विनोद का साथ छोड़ा | किरण ने समाज, परिवार, दुनियादारी से डट कर सामना किया और अपने सच्चे प्रेम को अंजाम दिया|
भंवर लाल कुमावत (पप्पू)
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