शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

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गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

डॉ. बिनायक सेन की तत्काल रिहाई को लेकर जयपुर के जन संगठनो का धरना प्रदर्शन संपन्न हुआ


Dr. Binayak Sen

आज दिनाक 30.12.2010 को राजस्थान के 150 से भी अधिक प्रबुद्ध नागरिक एव जन संगठन कार्यकर्ताओ ने "डॉ. बिनायक सेन" की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर जयपुर के अल्बर्ट हॉल मुज्यिम के सामने प्रदर्शन किया |

सभी ने इस फेसले की निंदा करते हुए इसे राजनीती से प्रेरित मना | वक्ताओ का यह भी कहना था की देशद्रोह की धारा मे आजीवन कारावास का दण्ड देना अपने मे राज्य द्वारा इस फेसले के जरिए न्यायपालिका को साजिशपूर्ण रूप से इस्तेमाल करने का मिसाल है | सभी वक्ताओ का यह भी मानना था कि डॉ. बिनायक सेन के फेसले से एक सन्देश देशभर मे मानवाधिकार एव जन संगठन कार्यकर्ताओ को दिया जा रहा है कि वे सरकार कि नीतियों कि आलोचना नहीं करे यह एक चूप करने कि रणनीति बतोर फेसला है |

जयपुर प्रदर्शन मे आए संगठनो ने प्रस्ताव लिया कि हर जिले के मुख्यालय पर प्रदर्शन कर डॉ. बिनायक सेन कि रिहाई कि मांग करनी चाहिए | यह भी घोषणा कि की 30 जनवरी 2011 शहीद दिवस को "जेल भरो" आन्दोलन राज्य मे किया जायेगा | भारतीय दण्ड सहिता की राजद्रोह धारा (124 A) के विरुद्ध वकीलों न्यायविदो एव कार्यकर्ताओ की समिति बना कर एक अभियान शुरू किया जायेगा | इसे भारतीय दण्ड सहिता से हटाने की मांग की जायेगी | ज्ञात हो की महात्मा गाँधी को इन धाराओ के तहत 3 साल एव तिलक को 8 साल की सजा सुने गई थी एव गाँधी का यह भी मानना था की इस धारा को आज़ाद भारत मे कोई स्थान नहीं है |

क्यों कि डॉ. बिनायक सेन का जन्म दिन 04 जनवरी को है जब वो 61 वर्ष के हो जायेंगे, तो सभी साथियो ने नववर्ष एव जन्मदिन शुभकामनाओ के सन्देश एक बेनर पर हस्ताक्षर कर दर्ज किए | यह बेनर रायपुर सेन्ट्रल जेल भेजा जायेगा | 04 जनवरी को मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों, गिरिजा घरो मे उनकी लम्बी जीवन के लिए दुआ दी जायगी | 

ज्ञात हो कि डॉ. बिनायक सेन मानवाधिकार संगठन पी.यू.सी.एल. के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष है | उन पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2007 मे माओवादियो के साथ लिप्त होने के आरोपों पर गिरफ्तार कर केस चलाया | रायपुर कि एक निचली अदालत ने दिसम्बर को राजद्रोह एव छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम एव यू.ए.पी.ए. के तहत दोषी करार कर आजीवन कारावास दण्ड दिया |

डॉ. बिनायक सेन 35 साल से आदिवासियो के बीच स्वास्थ्य का काम कर रहे थे | उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार कि "सलवा जुडूम" निति को 2005 मे खुल कर विरोध किया और उन पर यह आरोप गढ़ चूप किया गया| 

धरने मे निम्न वक्ताओ ने अपनी बात रखी : प्रेम किशन शर्मा (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान), डॉ. नरेन्द्र गुप्ता (जन स्वास्थ्य अभियान, प्रयास), दुष्यंत ओझा (भारतीय कमुनिस्ट पार्टी), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), महेंद्र   चोधरी एव श्रीलता   (भा.क.पा. माले), हितेंद्र उपाध्याय (संभव), शिव सिंह (अल्लारिपू), सलीम साहब (जमाते-ए-स्लामी हिंद), पी.एल. मिमरोठ (दलित अधिकार केंद्र), सवाई सिंह (राजस्थान समग्र सेवा संघ), निशात हुसैन (नेशनल मुस्लिम वुमेन्स वेलफेयर सोसायटी), मेवा भारती (घरेलु महिला कामगार यूनियन), कैलाश चन्द  कुम्भकर (सामाजिक विधि अध्ययन अकादमी), कोमल श्रीवास्तव (भारत ज्ञान विज्ञान समिति), राशिद (हुमन डेवेलपमेंट सोसायटी),  प्रो. हसन (ईरादा), राजाराम भादू (समान्तर), हरकेश बुगालिया (राजस्थान निर्माण मजदूर संगठन), विजय गोयल (आर. आई.एस.आर.), राखी (सी फार), अलोक व्यास (सिकोडिकोंन), प्रकाश चतुर्वेदी | 


भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

अखिल भारतीय "किसान स्वराज यात्रा" का जयपुर मै आगमन

"किसान स्वराज यात्रा" 
9 दिसम्बर को "किसान स्वराज यात्रा" का विनोबा ज्ञान मंदिर जयपुर  मे भव्य स्वागत किया गया | किसान स्वराज यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि व् खाद्य मे स्वराज है व् तीन मांगे लेकर चल रही है - (1) किसान को सरकार द्वारा आय मे सहयोग (2) खेती इस रूप की हो जिससे पर्यावरण का नाश न हो - जैविक खेती की दिशा ले (3) किसान  का  नियंत्रण पानी, जमीन, वन एव बीज इत्यादि सभी संसाधनों पर हो न की कम्पनियो के, यह मांगे आज जयपुर मे आयोजित नागरिक संवाद मे 70  दिन से चल रही "किसान स्वराज यात्रा"  का नेतृत्व कर रही कविता कुरुघंटी ने रखी |

2 अक्टूबर को साबरमती से शुरू हुई "किसान स्वराज यात्रा" गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, छतीसगढ़, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान व् हरियाणा होते हुए 11 दिसम्बर 2010 को दिल्ली पहुचेगी | राजस्थान मे यात्रा गंगानगर, हनुमागढ़, बीकानेर, नागोर, जोधपुर, अजमेर, झुंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर होते हुए हरियाणा निकली | 70 दिनों की इस यात्रा के दरमयान एक लाख लोगो से संवाद स्थापित किया गया, 250 से अधिक लोग जो लगातार यात्रा मे चले | 

कविता कुरुघंटी 
यात्रा का मार्गदर्शन कर रही कविता कुरुघंटी का कहना था की राजस्थान मे खेती जबरदस्त रूप से खतरे मे है | जंहा भी वो गई  या तो जमीन से विस्थापन के मुद्दे लोग उठा रहे हिया या फिर सरकार का मौनसेंटो के साथ हल मे हुआ करार जंहा पूरी खेती का नियंत्रण किसान कम्पनियो के हाथ खो देगा | खास रूप से मोनसेंटो के साथ Sun Rays Project मक्के को लेकर जो करार आदिवासिओ के 5 जिलो मे किया गया है, उससे आदिवासिओ द्वारा बचाई गई जैविक खेती अब सर्वनाश होगी| उन्होंने नारा दिया "मोनसेंटो भारत छोडो, राजस्थान सरकार मोनसेंटो को छोडो व् खेती हमारी हक़ आपके नहीं चलेगा"| 

संवाद के मुख्य अतिथि प्रो. विजय शंकर व्यास जो कृषि अर्थशास्त्री है एव वर्तमान मे राज्य आयोजन मंडल के उपाध्यक्ष है एव प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य है ने कहा की बीज के स्तर पर कम्पनियो का दखल खतरनाक है, जो की विश्व का अनुभव है | बीज तो सरकार द्वारा बीज खेत तैयार होने चाहिए जंहा से किसान को बीज उपलब्ध करवाया जाय | उन्होंने यह भी कहा की खेती जैविक हो या दूसरी हो किसान को सही मूल्य एव उत्पादकता नहीं होगी तब तक किसान उस खेती के रस्ते को नहीं अपनायेगा | उन्होंने यह भी ऐलान किया अब जब राज्य का 12 वी पंचवर्षीय योजना बने जा रही है तो उसमे इस मुद्दे पर वे जरुर संवाद रखेंगे जिससे सिफारिशे सरकार तक पहुंचाई जा सके |

बैठक मे विशिष्ठ अतिथि विकास अध्यन संसथान के प्रो. सुरजीत सिंह ने कहा की राजस्थान मे खेती की बात पानी से शुरू होती है और अगर पानी की उपलब्धता पर खेती नहीं आधारित होगी एव पानी का ओद्योगिक इस्तेमाल पर नीति नहीं बनेगी तो कृषि राजस्थान मे और भी पिछ्ड़ेगी | उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा की राजस्थान को पंजाब से सीख लेनी चाहिए जंहा ज्यादा केमिकल खाद के इस्तेमाल के कारण पंजाब आज केंसर प्रदन प्रदेश बन गया | 

संवाद मे अशोक गहलोत सरकार के नाम ज्ञापन जिसमे मोनसेंटो के साथ करार को रद्द करने ओ लेकर एव कृषि भूमि से लोगो का विस्थापन रोकने की मांग को लेकर पढ़ा गया | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू) 

sasas

"अमन की आशा" का मिशन लेकर निकले मोहम्मद अल्ताफ बट्ट चिश्ती

अल्ताफ 
अल्ताफ 18 वर्ष की उम्र में जब कशिमिर में भारत विरोधी आन्दोलन चरम पर था तब नादानी में अल्ताफ ने अल-उमर मुजाहिद्दीन,  एक हथियार बंद संगठन के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जंगजू बनने 3 माह का हथियार चलाने के प्रशिशन के लिए चला गया | 3 माह बाद में वापिस कश्मीर लौट आया |  अल्ताफ सरहद पर ही इस बात का निश्चय किया कि मै जंगजू नहीं बनूँगा | क्यों कि इस वक्त वापस आने पर अल्ताफ ने जो हालत देखे वो कोई धर्म, मजहब उसकी इजाजत नहीं देते है | क्यों कि पेगेम्बर मोहम्मद उन्होंने इस बात से सख्त मना किया था कि कभी भी लड़ाई के दौरान बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओ को शामिल नहीं करना चाहिए, मगर कश्मीर मे अधिकतर जाने एव नुकसान महिलाओ, बुजुर्गो और बच्चो का हुआ | यह देख कर अल्ताफ इस काम मे हिस्सा लेना इंसानियत, धर्म और कानून के खिलाफ समझा|

फिर दो वर्ष तक अल्ताफ स्वतंत्र पत्रकार का कार्य करता रहा | इस दौरान मेरी अनेको खबरे कश्मीर के उर्दू व् अंग्रेजी अखबारों मे छपी जैसे आफ़ताब, रोशनी, आफाक, ग्रेटर कश्मीर, कश्मीर टाइम्स, आदि | वैसे अल्ताफ एक लेखक, आयुर्वेद डॉक्टर, एक्यूप्रेशर हीलर, डिजाइनर, फोटोग्राफर भी है |

2 वर्ष के पश्चात् रास्ते पर चलते हुए अपने काम की और जा रहा था तो बी.एस.एफ. ने मु-हजये गिरफ्तार किया | मु-हजये दो वर्ष की जेल हुई | सिर्फ इसलिए नादानी मे अल्ताफ ने हथियार बंद प्रशिशन लेने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) चला गया था | श्री नगर सेन्ट्रल जेल मे मु-हजये रखा गया | वंहा से छूटने के बाद मु-हजये दो-उचयचार बार बिना किसी करू के बी.एस.एफ.व् सी.आर.पी.एफ. के नोजवानो ने मेरे हाथ पांव तोड़ दिए | अल्ताफ का कहना था की या कहानी उसकी नहीं बल्कि सरे कश्मीरियो की है | जिसके कारण अनेक नोजवान कश्मीर छोड़ कर देश-उचयविदेश के अन्य शहरो मे मजबूरन फनाह ले रहे है  व् परिवारों से अलग रहना पद रहा है | लेकिन इन शहरो मे भी वे भय मुक्त नहीं है | वंहा भी स्थानीय पुलिस भी शक के घेरे मे रखती है | अल्ताफ का कहना था की उसने कानून को कभी नहीं तोडा | 

इस अमन यात्रा की शुरुआत की ताकि अल्ताफ ही नही बल्कि अल्ताफ जैसे तमाम लोगो को इंसाफ दिलाएगा | जिनके साथ ना इन्साफिया होती रही | उनको इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश करेगा | निकला तो मे अकेला था इस सफ़र मे लेकिन आज कारवां के रूप मे हिन्दुस्तान की अधिक आवाम मेरे पीछे कड़ी है और मेरा इस मिशन मे पूरा सहयोग कर रही है | 

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)