बुधवार, 10 अगस्त 2022

CES संस्था द्वारा लगाये गए द्वारिकापुरी सर्किल जयपुर पर बेघर लोगों के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर में 127 बेघर लोगों ने लाभ लिया।

 बेघर लोगों को चिकित्सा शिविर में निःशुल्क दवाइयां वितरण की गई |


हसती खेलती जिन्दगी, बेघर के सपने, बेघर का परिवार, छोटा सा प्यारा घर, इनके रिश्तो की बुनियाद, जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी और सबसे बड़ी जरूरत भी, परन्तु बिना घर के सपने ही रह पाते है और ना ही होठों की मुस्कान, घर के बिगेर जिन्दगी कितनी कठोर और जोखिम भरी होती है सिर्फ कल्पना मात्र से ही हमारी रूह कांप जाती है, देशभर में आज इतने साल बाद भी, भारत में लाखो लोग, एकल या अपने परिवार के साथ खुले आसमान के निचे, मौसम की हर मार को सहते हुए, पीड़ा दायक जिंदगी जीने को मजबूर है, यह बेघर नागरिक ही हमारे शहर  निर्माता है, जो शहर के निर्माण व विकास में पूर्ण रूप से सहायक होते है, लेकिन इसके बदले हम, हमारा शहर, हमारी सरकार, हमारा प्रशासन इन्हें क्या देता है, सडक-फूटपाथ, खानाबदोश जीवन और फिर पुलिस के डंडे, जो इनके जीवन को नर्क से बदतर बना देते है|

इसी तरह के बेसहारा बेघर लोगों के स्वास्थ्य के लिए सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज संस्था ने दिनांक 9 अगस्त 2022 को सांय 5 बजे से 7 बजे तक द्वारिकापुरी सर्किल के पास, प्रताप नगर, जयपुर पर सेन्टर फॉर इक्विटी स्टडीज जयपुर संस्था द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जिसमे 127 बेघर लोगों ने चिकित्सा सेवाओं का दवाईयों सहित लाभ लिया। कैम्प के दौरान भंवर लाल कुमावत (पप्पू), डॉ. नावेद हसन खाऩ, डॉ. पदमा राठोड, बाबू लाल वर्मा, श्याम सुन्दर, नीलम बागोतिया, हरीश चौहान, जय प्रकाश, ज्योति, प्रीति ने अपनी सेवायें दी।

राजस्थान के कोने-कोने में बेघर लोग रह रहे हैं। अपनी दुखमयी जिन्दगी के कारण] कुछ गरीबी के कारण] कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धि बिमारियों और मानसिक] अपंगता के कारण अपने घरों से निकले हुए है। ये बेघर लोग अपने लिए कोई छत नहीं बना पाते है। इनको तो खुल्ले आसमान में तिरपाली की झुग्गी मे रहना] पुलिया के नीचे] फुटपाथ पर ही सोना पसंद है। लेकिन जयपुर में बेघर लोगों की एक अलग किस्म उभर कर सामने आयी हैं की गांवों व अन्य राज्यों से लोग जयपुर शहर में पलायन कर रहे है और इन बेघर लोगों की संख्या तीव्रता से बढती जा रही है। यह जयपुर शहर में खुल्ले आसमान के नीचे जीवन बिताने वाले लोग हैं और ये समस्या दिन ब दिन तेज गति से बढ़ती जा रही है। जयपुर शहर में बेघर लोग बिना अपने अधिकारों के ही जीवन यापन कर रहे है और बिना पहचान के ही जीवन जीने को मजबूर है।

 कैम्प के दौरान बेघर लोगों में खून की कमी, कमजोरी, बुखार, सर्दी-जुखाम, सिर दर्द, घुटनों का दर्द,  जोडो का दर्द, पेट दर्द, खांसी, खुजली, आंखो में दर्द, कान, दस्त, गला दर्द, भूख नहीं लगना, पांव दर्द, सिर मे चोट, हाथ मे छाले, सूजन, चेहरे पर मुहासे, शरीर मे दर्द, कमर दर्द, महिलाओं मे सफेद पानी की समस्या, गर्भवति महिलाओं में कमजोरी व खून की कमी, पेट में गेस, आँखों में जलन, त्वचा दर्द, नशों में दर्द, घाव, साँस फूलना, जांघ में खुजली, शरीर पर लाल धब्बे, घुटनों पर चोट, फोड़े-फुंसी, इत्यादि बिमारियों का उपचार दवाईयों सहित किया गया।

बेघर लोग मानव जाति की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में पीने का पानी, शौचालय, स्वास्थ्य और अपने सामाजिक हकों से भी बहुत वंचित हैं। जिनके कारण बेघर लोगों में हाईजेनिक बिमारियां, कुपोषणता, खून की कमी, टी.बी. जैसे रोग बढते दिखाई दे रहे है। बदलते मौसम की परिस्थितियों की मार झेलने को बेघर लोग मजबूर हैं। जयपुर शहर के बेघर लोग विशेष तौर पर राजस्थान सरकार व प्रशासन के पदाधिकारियों द्वारा प्रताड़ना और व्यवहार से भयानक रुप से ग्रसीत हैं।

द्वारिकापुरी सर्किल प्रताप नगर जयपुर पर रहने वाले बेघर लोग कचरा बीनने, साफ-सफाई करने, कभी-कबार काम पाने वाले, लसन-जीरा बेचने, खुदाई का कार्य करने, मजदूरी करने वाले, ढोल बजाने  वाले इस तरह अनेक तरह के कार्य करते है और अपना व अपने परिवार लालन पोषण करते है। यह सभी अधिकांश लोग करौली, मेहंदीपुर बालाजी, ग्वालियर, अलवर, उतर प्रदेश, आगरा, भरतपुर, भीलवाडा जैसे क्षेत्रो के रहने वाले है |

 



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