पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल (पीयूसीएल) ने आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता रविशंकर के उस वक्तव्य की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें उन्होंने यह कहा है कि ‘‘....सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे नक्सलवाद और हिंसा की तरफ प्रेरित होते हैं...... इसलिए सरकारी स्कूल और कॉलेज बन्द करके निजी हाथों में थमा देने चाहिए....... आदर्श विद्यालय सब जगह पहुंचने चाहिए’’। पीयूसीएल मांग करता है कि रविशंकर इस बात का सबूत पेश करें कि देशभर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छह से 14 वर्ष के 16 करोड़ बच्चे किस तरह से नक्सलवाद एवं हिंसा में सम्मिलित हैं। हम इस तरह की सोच का तिरस्कार करते हैं।
असलियत तो यह है कि रविशंकर जो कॉरपोरेट जगत के बनाये हुए स्वयंभू आध्यात्मिक गुरू हैं, इसलिए वो एक अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक ब्रांड बन चुके हैं। वें निजी और कॉरपोरेट क्षेत्र के मुनाफे की बात करेंगे, जहां शिक्षा मूल्य न होकर एक मुनाफा आधारित उद्योग है।
पी.यू.सी.एल. का मानना है कि यह वक्तव्य संविधान विरोधी भी है क्योंकि :-
- यह अनुच्छेद 21ए जिसमें शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है एवं सरकार को 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा देने के लिए बाध्य करता है, की अवहेलना करता है।
- इस वक्तव्य के पीछे उनकी खतरनाक मंशा इसलिए भी जाहिर होती है क्योंकि रविशंकर सावरकर, गोलवकर एवं आरएसएस की विचारधारा पर आधारित शिक्षा जो आदर्श विद्या सोसायटी अपने आदर्श विद्या मन्दिर स्कूलों के जरिए देता है उसे देशभर में स्थापित करना चाहते हैं न की संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष, बराबरी, लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा।
पी.यू.सी.एल. रविशंकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं।
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