गुरुवार, 17 मार्च 2011

मेरी लडाई


ये ज़िन्दगी मेरी है

इसका हर लम्हा, हर दिन मेरा है

मैंने ही चुनी है हर राह इसकी
हर मंजिल जो अब तक नही मिली
वो भी मेरी ही है
हर साँस की मुश्किलें
हर कदम की कशमकश
हर दिन की हर एक लडाईबस मेरी ही है
मुझे ही लड़ना है
मेरी हर मुश्किल से
मुझे ही लड़ना है
मेरी हर उलझन से
और कभी मेरे इस मैं से
लड़ाई भी मेरी ही है
इस ज़िन्दगी की
हर एक हार भी मेरी ही है
उस हार से निकलती
आहों की हर आवाज़ भी मेरी ही है
लेकिन एक दिन
हार हार कर जीतने की
हर खुशी भी मेरी ही होगी
मेरी ही होगी वो सब मंजिले
जो मैं गिर गिर कर पाऊंगा
और उन जीत के लम्हों की
हर मुस्कान भी बस मेरी ही होगी
मेरी ही होगी.....!!!!!!!!!!

भंवर लाल कुमावत (पप्पू)

1 टिप्पणी:

हरीश सिंह ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
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