25 फरवरी 2013 से सघन आंदोलन का ऐलान
समर्थन में आये सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय, विधायक प्रताप सिंह खाचरियवास, महापौर ज्योति खण्डेलवाल, बाल आयोग अध्यक्ष दीपक कालरा व अनेक सामाजिक संगठन
सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती अरूणा रॉय, महिला कामगार यूनियन की सचिव मेवा भारती, पी.यू.सी.एल. के अध्यक्ष श्री प्रेमकृष्ण शर्मा, महिला संगठन की रेणुका पामेचा, निशात हुसैन इत्यादि के नेतृत्व में हजारों की संख्या में जयपुर की घरेलू महिला कामगार यूनियन आज जयपुर के उद्योग मैदान मे जुटी। दुनिया के मजदूर हम एक है, सबको राशन दो, पेंसन दो, अशोक गहलोत होश में आओ, सामाजिक सुरक्षा कानून तुरंत लाओं, मेहनतकश की मजदूरी बढ़ाओं, जयपुर पुलिस होश में आओ, बहन-बेटियों को सुरक्षा दिलवाओं, के नारे लगाते हुए दिनभर जनसुनवाई आयोजित हुई।
पुरजोर शब्दों में उन्होंने कहा कि वे लोग लम्बे समय से जयपुर में रह रहे है और दिन-रात मेहनत से इस शहर के घर-घर को साफ रखती है, बच्चें पालती है, फिर भी उन्हें जयपुर शहर और प्रशासन न बाहरी मानता है, और तो और क्योंकि वे बंगाल से है, उन्हें बंगलादेशी कह कर उनकी इज्ज़त, उनकी मेहनत एवं उनके खून-पसीने के श्रम और पहचान को ध्वस्त कर दिया जाता है।
नाराज़गी जताते हुए हीरन बर्मन, शीतल चैधरी, सोहनी देवी, गीरू बाला, संतोष व मीनू ने बताया बताया कि कैसे इनकी मजदूरी, न्यूयोक्त काट लेते है। उन्हें चोरी के इल्जाम में पुलिस के हवाले कर दिया जाता है जब वे अपनी मेहनत का दाम मांगती है । वे और उनकी बेटियां घरों में असुरक्षित रहती है, जब वे पुलिस के पास जाते है तो पुलिस उन्हीं को थाने के बाहर भगा देता है। ना कोई पहचान पत्र, ना राशनकार्ड, ना कोई सामाजिक सुरक्षा, ना बुजुर्ग को पेंसन, ना बस्तियों में आंगनबाड़ी, ना पानी, ना बिजली, ना बस्तियों की सफाई हर तरह से उन्हें दोयम दर्जें का इंसान के रूप में उन्हें जीना पड़ता है।
सबसे ज्यादा गुस्सा पुलिस के रवैये से था, 14 वर्षिय माधवी दास 25 जनवरी 2013 से लापता है। उसके परिवार को आये 8 दिन भी नहीं हुये थे। जिस घर में वह काम कर रही थी वहां से गायब कर दिया गया और वैशाली नगर थाना की पुलिस व ए.सी.पी. आज दिन तक उस परिवार को आरोपी नहीं मान रही है। एफ.आई.आर. तक दर्ज नहीं की गई। इसी तरह ब्यूटी व पूजा बर्मन पिछले 24 घण्टे से लापता है और उन्हें मोती डूंगरी थाने की पुलिस कहती है कि ‘‘तुम अपनी बेटियों को ढूंढ़ लो’’। कोमल, सांत्वना व रोशन ने बताया कि कैसे वे अपनी मां के काम में घर-घर जाकर हाथ बटाती है उसके बाद स्कूल भी जाती है। अक्सर उन्हें गलत निगाहें एवं मारपीट सहनी पड़ती है। उन्होंने पूछा क्या गरीब के घर की लड़कियां इंसान नहीं है।
राजस्थान राज्य बाल आयोग अध्यक्ष श्रीमती दीपक कालरा एवं सदस्य गोविन्द बेनिवाल ने बताया कि माधवी दास के मामले में नियुक्ता दारू के ठेकेदार के खिलाफ 2 एफ.आई.आर. दर्ज करने की सिफारिश पुलिस को भेजी। क्योंकि माधवी दास केवल 14 वर्ष की है और राजस्थान बाल श्रम के नियमों के तहत 18 साल से कम श्रमिक को नौकरी नहीं दी जा सकती है। साथ ही लड़की लापता उनके घर से हुई तो इसलिए एफ.आई.आर. एवं गिरफ्तारी तुरंत होनी चाहिए। उन्होंने 'शिक्षा के अधिकार कानून के तहत महिलाओं को बोला कि अगर कहीं भी उन्हें 25 प्रतिशत गरीबों के लिए आरक्षीत कोटे में उनके बच्चों को प्रवेश नहीं मिले तो वे उनके पास आयें वे करायेंगे। उन्होंने जोर दिया कि सबसे पहली सुरक्षा बच्चियों के लिए ’शिक्षा है।
घरेलू कामगार बहनों को सुनने और समर्थन देने पहुचें थे सिविल लाईंस ईलाके के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास, जिन्होंने कहा कि ‘‘वे हर परिवार को राशन कार्ड दिलवायेंगे और बुजुर्ग महिला को पेंसन’’, उन्होंने वहां बैठे उपजिला रसद अधिकारी को बोला कि जो 6 हजार कामगार यूनियन की महिलाओ ने राशन कार्ड के आवेदन दिये थे उन्हेंराशन कार्ड उपलब्ध करवाया जाये। जिसके जवाब में उपजिला रसद अधिकारी ने आ’वासन दिया कि एक महिने के अंदर सबको वे राशन कार्ड बनवा कर देंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे विधान सभा में घरेलू कामगार महिलाओं के मुद्दे उठायेंगे।
जयपुर पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे डी.सी.पी. दक्षिण, डेन.के. जोस, ने भरोसा दिया कि महिलायें पुलिस पर भरोसा रखे। वे उनकी नाराजगी को समझ रहे थे और उन्होंने वायदा किया कि पुलिस महकमे में पुलिस ट्रेनिंग के तहत हर स्तर के पुलिस कर्मचारी को जनता का दोस्त बनना होगा ना कि बोस । उन्होने लापता हुई लड़कियों के मामले को लेकर कहा कि वे तत्काल उसे देखेंगे। साथ ही जिन थानों में कामगार महिलाओ की पिटाई हुई थी जैसे वैशाली नगर थाना, उसकी भी जांच के लिए राय देगे।
जयपुर की महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने महिला कामगार बहनों को कहा कि वे एक औरत होने के नाते उनके दुख और संघर्षो को समझ सकती है और उन्होंने कहा कि वे लोग कभी भी अपनी समस्या लेकर उनसे मिलने आ सकते है और उन्होंने अपना फोन नं. 2311112 सबको दिया और कहा कि इस नम्बर पर ’शिकायत दर्ज करवा सकते है कभी भी। श्रीमती अरूणा रॉय के कहने पर सुनवाई के अधिकार कानून के तहत सभी आवेदनों पर कार्यवाही होनी चाहिये और बस्ती-बस्ती में, हर वार्ड में, हर जोन में बने नगर निगम के दफ्तरों के बाहर कलर पेन्ट से टेलिफोन व जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारीयों के नम्बर लिखे होने चाहिये व ’शिकायत की रसीद मिलनी चाहिये। जिस पर महापौर ने आ’वासन दिया कि वे जरूर जयपुर नगर निगम की जवाबदेही की प्रक्रिया को सम्पूर्ण रूप से पारदर्शी बनायेंगी।
श्रीमती अरूणा रॉय ने घरेलू कामगार यूनियन की ताकत को सराहना की व उनके संघर्ष में अपना साथ देने का वायदा किया। उन्होंने राज्य के मंत्रियों व अधिकारियों को ललकारा और कहा कि जिस मजदूर के बलबूते घर और समाज चलता है अगर उसके श्रम को इज्जत नहीं होगी तो वो घर समाज खोखला हो जायेगा। उनके मूलभूत अधिकारों की गांरटी पर जोर दिया।
घरेलू कामगार महिलाओं का एक दल मजदूर नेता हरकेश बुगालिया व उच्चतम न्यायालय के आयुक्त सलाहकार अशोक खण्डेलवाल के साथ मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू से मिले जिन्होंने सामाजिक सुरक्षा कानून बजट सत्र में लाने का वायदा किया व कामगार महिलाओं के मूलभूत सुविधाऐं जैसे राशन, पहचान पत्र इत्यादि को लेकर प्राथमिकता से गौर करेगे।
बैठक का संचालन महिला कामगार यूनियन की मेवा भारती एवं पी.यू.सी.एल. राजस्थान की महासचिव कविता श्रीवास्तव ने की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें