पी यू सी एल के नेतृत्व में एक प्रदर्शन गृह मंत्री शांति धारीवाल के बंगला नंबर ४, हॉस्पिटल रोड के बाहर किया गया | मांग थी की तत्काल सेपुऊ थाना अधिकारी राजेंद्र कविया और अन्य रींगस थाना अधिकारी बालाराम चौधरी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की जाय और संविधान की अनुच्छेद ३११ के तहत सभी दोषी पुलिसकर्मियों की निष्कासन कार्यवाही हो |
पी यू सी एल का मानना था की राज्य में पिछले ५ दिनों में सीकर जिले के रींगस थाने में हिरासत में एक नौजवान की मौत और धौलपुर जिले सा सेपुऊ थाने में ७५ वर्षीय बुजुर्ग को पेड़ से लटकाने की घटनाओ ने स्थापित किया है कि राजस्थान पुलिस निरंकुश होती जा रही है | यह अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर हम पुलिस को रक्षक नहीं, भक्षक कहेंगे | पुलिस का कम है कि देश का कानून लागू करना न कि कानून अपने हाथ में लेकर मनमानी करना | देश के संविधान के तहत मानवाधिकारो के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता लेकिन राजस्थान पुलिस को संविधान और मानवाधिकारो की जैसे कोई परवाह ही नहीं है | वह अब भी जनता पर अत्याचार करने वाली सामन्ती युग के राजपुताना की पुलिस लग रही है न की आजाद और लोकतांत्रिक भारत की प्रहरी हो |
प्रदर्शन में पी यू सी एल के अध्यक्ष श्री प्रेम कृष्ण शर्मा, उपाध्यक्ष राधाकांत सक्सेना, निशात हुसैन, जयपुर जिला ईकाई के सचिव हेरोल्ड सिंह, कार्यकारिणी सदस्य मेवा भारती, गोविन्द बेनीवाल और वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार जैन के शामिल होने के साथ-साथ अनेक नौजवान छात्र-छात्राओ, मजदुर ने सक्रिय भागीदारी निभाई | उन्होंने अनेक नारे लगाये जैसे "खाखी वर्दी में हत्यारे", "रक्षक बने भक्षक", "राजस्थान पुलिस धौलपुर और रींगस का जवाब दो" इत्यादि | नारों में रींगस और सीपाऊ थाना गिरफ्तारी की भी मांग राखी गई |
उनका यह भी कहना था की राजस्थान पुलिस कानून २००७ का "पुलिस की जवाबदेही" को लेकर अध्याय ९ की धारा ६२ से ६९ को जानबूझ कर लागू नहीं कर रही है | क्यों कि अगर इन धाराओ के तहत राज्य और जिलास्तरीय पुलिस जवाबदेही समितिया गठित हो जायेंगी तो पुलिस की मनमानी और अत्याचार की घटनाओ की जाँच होगी | इन धाराओ को लागू करने की भी मांग राखी |
गृह मंत्री शांति धारीवाल पूरे समय नदारद रहे और ज्ञापन अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट लोकनाथ सोनी ने उनके और से प्राप्त किया | पी यू सी एल ने तय किया है कि अपनी मांगो को लेकर न्यायपालिका के भी दरवाजे खट खटाएंगे |
भंवर लाल कुमावत (पप्पू)